बह्र : रमल मुसद्दस महजूफ
2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2
तंग बेहद हाथ खाली जेब है,
सत्य मेरा बोलना ही एब है,
पाँव नंगे वस्त्र तन पे हैं फटे,
वक्त की कैसी अजब अवरेब है,
( अवरेब = चाल )
जख्म की जंजीर ने बांधा मुझे,
दर्द का हासिल मुझे तंजेब है,
( तंजेब = अचकन, लम्बा पहनावा )
जुर्म धोखा देश में जबसे बढ़ा,
साँस भी लेने में अब आसेब है,
( आसेब = कष्ट )
भेषभूषा मान मर्यादा ख़तम,
संस्कारों की गिरी पाजेब है....
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
//जुर्म धोखा देश में जबसे बढ़ा,
साँस भी लेने में अब आसेब है,// वाह वाह क्या बात है।
इस खूबसूरत गजल के लिए दिली दाद कुबूलें।
बस एक जिज्ञासा है। आपने मतले में जेब और ऐब को काफिये में बांधा है। क्या यह उचित है? क्योंकि हर्फ—ए—रवी से पहले स्वर का विरोध हो रहा है। कृप्या स्पष्ट करें।
//पाँव नंगे वस्त्र तन पे हैं फटे,
वक्त की कैसी अजब अवरेब है,
जख्म की जंजीर ने बांधा मुझे,
दर्द का हासिल मुझे तंजेब है, // भाई अरुण जी ग़ज़ल पे आपने निस्संदेह मेहनत तो किया है अच्छे अशआर हुये हैं.
कुछ जगह मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा मक्ते में आपने जो शब्द इस्तेमाल किया है "खतम" इसका प्रयोग आपने "समाप्त" के अर्थ में किया है तो एक बार गुरूजनों से सलाह ले लें क्यूँकि सही शब्द "खत्म" है हम "खतम" कई दफे कहते ज़रूर हैं लेकिन यह मान्य है या नही ये दावे के साथ नही बोल सकताl
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online