For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - चाँदनी छिटकी हुई पर मन मेरा खामोश है

चाँदनी छिटकी हुई पर मन मेरा खामोश है।

बेखबर इस रात में सारा जहाँ मदहोश है।

वक्त आगे भागता, जम से गये मेरे कदम,
हाँ, सहारा दे रहा तन्हाई का आगोश है।

हँस रहा चेह्रा मेरा तुम तो बस इतना जानते,
क्योंकि गम दिल संग सीने में ही परदापोश है।

माँगता मैं रह गया, दे दो बहारों कुछ मुझे,
अनसुना कर बढ़ गईं, इसका बड़ा आक्रोश है।

अब कहाँ रौनक बची "गौरव" उमंगों की यहाँ,
घट रहा साँसों सहित धड़कन का पल-पल जोश है।

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 831

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 12, 2013 at 8:11am

आदरणीय गिरिराज सर दरअस्ल "चेह्रा" की तरह कहा जाता है,जिसे "चेहरा" लिखा जाता है लेकिन इसका वज्न 22 ही होगा न कि 212,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 12, 2013 at 7:58am

आदरणीय कुमार भाई , जो मिसरा सामने है उसके अनुसार , चेहरा -212 होगा आप  चेहरा को 22 मे बान्ध करे है , ये कितना सही कितना गलत है मै नही कह सकता !!!!! किसी बडे शायर ने ऐसा किया होगा तो सही भी हो सकता है !!!!! 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 11, 2013 at 8:20am

उत्साहवर्धन हेतु आपका आभारी हूँ मित्र राम पाठक जी.........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 11, 2013 at 8:18am

बहुत-बहुत धन्यवाद आपका आदरणीया अन्नपूर्णा वाजपेई जी.........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 11, 2013 at 8:17am

आदरणीय निलेश जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद..........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 11, 2013 at 8:16am

सादर आभार आदरणीय मोहन जी..........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 11, 2013 at 8:16am

हार्दिक आभार आदरणीय उमेश कटारा जी.........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 11, 2013 at 8:14am

आपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, स्नेहपूर्ण प्रतिक्रिया हेतु आपका बहुत-बहुत आभार। आपसे शत प्रतिशत सहमत हूँ। एक मनोभाव को शब्द देने की कोशिश की है बस। आपकी प्रतिक्रिया मनोबल को बढ़ानेवाली है। दिल से धन्यवाद आपको............

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 11, 2013 at 8:06am

आदरंणीय  Shijju Shakoor जी, आदरणीया rajesh kumari जी एवं आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, सर्वप्रथम तो प्रोत्साहन एवं स्नेह हेतु आप सभी का हृदय से आभार......

तकनीकी पक्षपर आपसे यहाँ परामर्श अपेक्षित है, मैंने तीसरे शेर को इस तरह से लिखा है

हँस रहा चेह/ रा मेरा तुम/ तो बस इतना/ जानते,
2122/ 2122/ 2122/ 212

हँस रहा चह/ रा मेरा तुम/ तो बसितना/ जानते
2122/ 2122/ 2122/ 212

चेहरा को "चहरा" की तरह उपयोग होते कहीं-कहीं देखा है सो वैसे ही उपयोग किया और "बस इतना" को "बसितना" की तरह (शायद इस नियम को आलिफ वस्ल कहा जाता है) ग़ज़ल की बारिकियाँ तो नहीं जानता अतः मार्गदर्शन किया जाए........सादर

Comment by ram shiromani pathak on November 10, 2013 at 10:28pm

आदरणीय अजीतेंदु जी बढ़िया ग़ज़लबहुत बहुत बधाई। …सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service