For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत - जी रही हैं दूरियाँ

भींगते तकियों से आँसू पी रही हैं दूरियाँ

मस्त हो नजदीकियों में जी रही हैं दूरियाँ

अनदिखी कितनी लकीरें खींच आँगन में खड़ीं
अनसुनेपन को बना बिस्तर दलानों में पड़ीं
बैठ फटती तल्खियों को सी रही हैं दूरियाँ

तोड़ देतीं फूल गर खिलता कभी एहसास का
कर रहीं रिश्तों के घर को महल जैसे ताश का
इन गुनाहों की सदा दोषी रही हैं दूरियाँ

प्यार में जब घुन लगा तो खोखलापन आ गया
भूतबँगले सा वहाँ भी खालीपन ही छा गया
ऐसे ही माहौल में जनती रही हैं दूरियाँ

बोझ कर संबंध को गर्माहटें भी हट गईं
जोड़नेवाली जमीनें खाइयों से पट गईं
देख हँस-हँस के मजा लेती रही हैं दूरियाँ

पार कर जाए कोई तन्हा मुसाफिर यत्न कर
ना लगे रस्ते में भी वीरानियों का कोई डर
इन लिहाजों से बड़ी टेढ़ी रही हैं दूरियाँ

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 649

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 7, 2013 at 7:52pm

एक सशक्त गीत, भाई अजीतेन्दु, जिसका यहाँ प्रस्तुत होना आपके रचनाकार की काव्य-प्रगति के सोपान पर चिह्न स्वरूप अंकित होना है.   हाँ, शिल्प पर एकांगी प्रयास हुआ है. इसके प्रति किन्तु मैं बहुत कुछ कहूँगा नहीं. निर्णय आपका... :-)))

ढेर सारी बधाई स्वीकारें और सदा खुश रहें. प्रयासरत रहें

शुभ-शुभ

Comment by vijay nikore on December 1, 2013 at 12:16pm

इस सुंदर रचना के लिए बधाई।

सादर,

विजय निकोर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 30, 2013 at 3:25pm

आदरणीय ,  !!!सुन्दर भाव पूर्ण गीत के लिये आपको बधाई !!!

Comment by राजेश 'मृदु' on November 30, 2013 at 2:01pm

प्यार में जब घुन लगा तो खोखलापन आ गया
भूतबँगले सा वहाँ भी खालीपन ही छा गया
ऐसे ही माहौल में जनती रही हैं दूरियाँ

लाजवाब, क्‍या कहने हैं आदरणीय । लाख मुंडी घुमाउं फिर भी ऐसे सच्‍चे खयाल दिमाग में नहीं आएंगें, बहुत ही बढि़या,

सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 30, 2013 at 9:16am

तोड़ देतीं फूल गर खिलता कभी एहसास का
कर रहीं रिश्तों के घर को महल जैसे ताश का
इन गुनाहों की सदा दोषी रही हैं दूरियाँ

कभी कभी अति संवेदनशीलता भी रिश्तों में दूरियां पैदा कर देती है, बेहद सुंदर भावपूर्ण रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय कुमार गौरव जी

Comment by annapurna bajpai on November 29, 2013 at 10:59pm

सुंदर गीत बहुत बधाई आपको आ0 कुमार गौरव जी । 

Comment by बृजेश नीरज on November 29, 2013 at 9:33pm

वाह! बहुत ही सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

भाई जी कभी हम लोगों को भी मार्गदर्शन दे दिया करिए.

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 29, 2013 at 8:26pm

संवेदनहीनता और संवादहीनता निकटस्थ रिश्तों में भी दूरियों को कैसे जन्म देती है, पोषण देती है उसे बहत सुन्दरता से व्यक्त किया है 

मस्त हो नजदीकियों में जी रही हैं दूरियाँ.............बहुत सुन्दर 

इस संवेदनशील मर्मस्पर्शी गीत प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई कुमार गौरव अजीतेंदु जी 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 29, 2013 at 7:26pm

अजितेंदु जी

आपका गीत ,आपकी भावनाए सब बेहद सुन्दर है i

शुभ शुभ  i

Comment by Meena Pathak on November 29, 2013 at 6:48pm

सुन्दर रचना हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीय !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय अजेय जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिए  अमित जी के अच्छे सुझाव से…"
6 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों के सुझाव…"
8 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय कबीर सरजी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए  आपको इतने वक़्त बाद पटल पे…"
11 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर "
13 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय Nilesh ji बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए  बेहतर सुझाव है मतला ख़ूब निखर…"
14 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों ने ख़ूब सुझाव…"
20 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों की टिपणियाँ…"
25 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। आज है आदमी का नकार आदमी महज़…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"ग़ज़ल तक आने और अपनी प्रतिक्रिया प्रेषित करने के लिए आभार नीलेश जी। बेशक़ शब्दों का क्रम एक बड़ा घटक…"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"ग़ज़ल पर आने और हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. चेतन जी सहभागिता के लिए धन्यवाद ..दे चुका ईसा को सूली सुकरात ज़हर... ऐसे कोई गद्य नहीं…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. अजय जी,ग़ज़ल पर अमित जी विस्तार से कह ही चुके हैं .दफ़्न दिल में तमन्नाओं की लाश कर…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service