भींगते तकियों से आँसू पी रही हैं दूरियाँ
मस्त हो नजदीकियों में जी रही हैं दूरियाँ
अनदिखी कितनी लकीरें खींच आँगन में खड़ीं
अनसुनेपन को बना बिस्तर दलानों में पड़ीं
बैठ फटती तल्खियों को सी रही हैं दूरियाँ
तोड़ देतीं फूल गर खिलता कभी एहसास का
कर रहीं रिश्तों के घर को महल जैसे ताश का
इन गुनाहों की सदा दोषी रही हैं दूरियाँ
प्यार में जब घुन लगा तो खोखलापन आ गया
भूतबँगले सा वहाँ भी खालीपन ही छा गया
ऐसे ही माहौल में जनती रही हैं दूरियाँ
बोझ कर संबंध को गर्माहटें भी हट गईं
जोड़नेवाली जमीनें खाइयों से पट गईं
देख हँस-हँस के मजा लेती रही हैं दूरियाँ
पार कर जाए कोई तन्हा मुसाफिर यत्न कर
ना लगे रस्ते में भी वीरानियों का कोई डर
इन लिहाजों से बड़ी टेढ़ी रही हैं दूरियाँ
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
एक सशक्त गीत, भाई अजीतेन्दु, जिसका यहाँ प्रस्तुत होना आपके रचनाकार की काव्य-प्रगति के सोपान पर चिह्न स्वरूप अंकित होना है. हाँ, शिल्प पर एकांगी प्रयास हुआ है. इसके प्रति किन्तु मैं बहुत कुछ कहूँगा नहीं. निर्णय आपका... :-)))
ढेर सारी बधाई स्वीकारें और सदा खुश रहें. प्रयासरत रहें
शुभ-शुभ
इस सुंदर रचना के लिए बधाई।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीय , !!!सुन्दर भाव पूर्ण गीत के लिये आपको बधाई !!!
प्यार में जब घुन लगा तो खोखलापन आ गया
भूतबँगले सा वहाँ भी खालीपन ही छा गया
ऐसे ही माहौल में जनती रही हैं दूरियाँ
लाजवाब, क्या कहने हैं आदरणीय । लाख मुंडी घुमाउं फिर भी ऐसे सच्चे खयाल दिमाग में नहीं आएंगें, बहुत ही बढि़या,
सादर
तोड़ देतीं फूल गर खिलता कभी एहसास का
कर रहीं रिश्तों के घर को महल जैसे ताश का
इन गुनाहों की सदा दोषी रही हैं दूरियाँ
कभी कभी अति संवेदनशीलता भी रिश्तों में दूरियां पैदा कर देती है, बेहद सुंदर भावपूर्ण रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय कुमार गौरव जी
सुंदर गीत बहुत बधाई आपको आ0 कुमार गौरव जी ।
वाह! बहुत ही सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!
भाई जी कभी हम लोगों को भी मार्गदर्शन दे दिया करिए.
सादर!
संवेदनहीनता और संवादहीनता निकटस्थ रिश्तों में भी दूरियों को कैसे जन्म देती है, पोषण देती है उसे बहत सुन्दरता से व्यक्त किया है
मस्त हो नजदीकियों में जी रही हैं दूरियाँ.............बहुत सुन्दर
इस संवेदनशील मर्मस्पर्शी गीत प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई कुमार गौरव अजीतेंदु जी
अजितेंदु जी
आपका गीत ,आपकी भावनाए सब बेहद सुन्दर है i
शुभ शुभ i
सुन्दर रचना हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीय !!
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