For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - हँसती फ़िजा का जवाब देखिए - पूनम शुक्ला

2212 . 2121. 212


जीवन की ऐसी किताब देखिए
काँटों में खिलता गुलाब देखिए

रोती ज़मी आसमान रो रहा
हँसता रुदन ये जनाब देखिए

सोई सबा पर न सोई ये रज़ा
जलता हुआ आफताब देखिए

जन्नत हुई तिश्नगी है इस कदर
मालिक दिलों के हुबाब देखिए

कीमत हँसी की चुकाई भी तो क्या
हँसती फिज़ा का जवाब देखिए

आँगन मेरा रोशनी से भर गया
ऐसा मेरा माहताब देखिए

दीवानगी घेरती है इस कदर
निखरा है ऐसा शबाब देखिए

पूनम शुक्ला

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 614

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil.Joshi on November 14, 2013 at 4:48am

इस सुंदर प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई आ0 पूनम जी...

Comment by Amod Kumar Srivastava on November 13, 2013 at 10:10pm

सुंदर गजल के लिए बधाई स्वीकार करें .... सादर ॥ आमोद 

Comment by Poonam Shukla on November 13, 2013 at 7:03pm
सुधार किया है ,अभी भी कुछ कमी हो तो बताएँ ।
Comment by अरुन 'अनन्त' on November 13, 2013 at 3:34pm

आदरणीया अच्छा प्रयास हुआ है आदरणीया राजेश माँ जी से सहमत हूँ उनके कहे का सज्ञान करें. प्रयास हेतु बधाई

Comment by vijay nikore on November 13, 2013 at 5:03am

इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on November 12, 2013 at 11:51pm

भाव अच्छे लगे, आदरणीया हार्दिक बधाई।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 12, 2013 at 4:51pm

आदरणीय पूनम जी इस सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई ..सादर 

Comment by Poonam Shukla on November 12, 2013 at 9:28am
आप सभी के स्नेह व सहयोग के लिए मैं धन्यवाद देती हूँ । गल्तियाँ अभी सुधारती हूँ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 12, 2013 at 9:03am

सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई........


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 12, 2013 at 9:01am

हँसती रुदन ये जनाब देखिए----पूनम जी रुदन =पुर्लिंग है अतः हँसता रुदन कर सकती हैं 
सोई सबा पर न सोए ये रज़ा----रज़ा स्त्रीलिंग है दूसरे ए और ये साथ मिलकर बहर गड़बड़ कर रहे हैं --इस मिसरे को जांच लें 

बाकी सभी अशआर सुन्दर हैं बढ़िया ग़ज़ल के लिए दाद कबूल करें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service