Posted on April 25, 2015 at 9:55am — 5 Comments
Posted on March 3, 2015 at 11:30am — 9 Comments
Posted on November 24, 2014 at 2:00pm — 17 Comments
2122 2212 22
फिर अमावस की रात आनी है
हमने भी पर लड़ने की ठानी है
है अँधेरा औ चाँद खोया फिर
ये तो पहचानी इक कहानी है
रात आएगी जग छुपा लेगी
धरती दीपक से जगमगानी है
ऐ खुदा तुमने तो सजा दी थी
प्रेम की ये भी इक निशानी है
गम के भीतर ही सुख छुपा होगा
बात ये भी तो जानी मानी है
बीज सूरज के आओ बो दें फिर
खेती आतिश की लहलहानी है
चल अमावस को फिर बना पूनम
ये तो आदत तेरी पुरानी है ।…
Posted on October 16, 2014 at 10:00am — 5 Comments
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