For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - हँसती फ़िजा का जवाब देखिए - पूनम शुक्ला

2212 . 2121. 212


जीवन की ऐसी किताब देखिए
काँटों में खिलता गुलाब देखिए

रोती ज़मी आसमान रो रहा
हँसता रुदन ये जनाब देखिए

सोई सबा पर न सोई ये रज़ा
जलता हुआ आफताब देखिए

जन्नत हुई तिश्नगी है इस कदर
मालिक दिलों के हुबाब देखिए

कीमत हँसी की चुकाई भी तो क्या
हँसती फिज़ा का जवाब देखिए

आँगन मेरा रोशनी से भर गया
ऐसा मेरा माहताब देखिए

दीवानगी घेरती है इस कदर
निखरा है ऐसा शबाब देखिए

पूनम शुक्ला

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 585

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 12, 2013 at 7:15am

आदरणीया पूनम जी , अच्छी गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाई !!!

आदरणीया , रज़ा , स्त्रीलिंग है , मिसरे को फिर देख लें !!!!

Comment by annapurna bajpai on November 11, 2013 at 11:02pm

आ0 पूनम शुक्ल जी बहुत ही खूबसूरत गजल , आपको बहुत बधाई । 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 11, 2013 at 10:31pm

हंसती रुदन को अगर छोड़ दें

तो फिर ईस ग़ज़ल  का रुआब देखिये  

Comment by umesh katara on November 11, 2013 at 6:49pm

पूनम जी बहुत उम्दा गजल कही है वाह्ह्ह्ह्
कीमत हँसी की चुकाई भी तो क्या
हँसती फिजा का जबाब देखिये--------क्या कहने वाह


Comment by मोहन बेगोवाल on November 11, 2013 at 6:07pm

 पूनम जी, बहुत सुंदर गजल पोस्ट करने के लिए बधाई हो 

Comment by ram shiromani pathak on November 11, 2013 at 6:05pm

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल  आदरणीया पूनम जी...बहुत बहुत बधाई  आपको  ///सादर

कीमत हँसी की चुकाई भी तो क्या
हँसती फिज़ा का जवाब देखिए??????? कहने का अर्थ  कुछ समझ नहीं  आया........ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service