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दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी -- ( ग़ज़ल ) गिरिराज भन्डारी

दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी

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 2122    1212       22

 

काई ज़ज़्बात पर जमी होगी

दूरी ,क्या यूँ ही बन गयी होगी  ?

पूर्ण तो बस ख़ुदा ही होता है

आदमी है तो कुछ कमी होगी

 

जख़्म रिसते रहे हैं मेरे तो

कुछ निशानी भी बन गयी होगी

 

सच को सच आज कह सकें हम सब 

कोई तो एक सरज़मी होगी

 

मैने खोजा बहुत नहीं पाया

छत पे सोचा था चाँदनी होगी

 

क़त्ल करती है माँ ही बच्चे को

सोचिये कैसी बेबसी होगी

 

जिसकी आवाज़ ने मिलाया है

दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी

 

आज तारीकी जितनी गहरी है 

लगता है कल से रोशनी होगी   

 *************

( संशोधित )

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 14, 2013 at 8:21pm

आदरणीय नीरज मिश्रा भाई , गज़ल की सराहना कर  हौसला अफज़ाई करने के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!

Comment by Neeraj Nishchal on November 14, 2013 at 7:23pm

आप के अनुभव आपकी दार्शनिकता और आपकी सोच
को क्या कहूं जो झलकाई है आपने इस ग़ज़ल में ,

पूर्ण तो बस ख़ुदा ही होता है

आदमी है तो कुछ कमी होगी

आप के इस शेर पर तो दिल ही ठहर गया
बहुत बहुत बहुत खूबसूरत ग़ज़ल
आदरणीय भंडारी जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 14, 2013 at 11:49am

आपका सदैव स्वागत है आदरणीय


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 14, 2013 at 11:48am

सच है, आदरनीय अरुण भाई , अपनी गलती मुश्किल से दिखती है , मै सुधार का प्रयास करूँगा !!!!! आपका शुक्रिया !!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 14, 2013 at 11:38am

आदरणीय चौधे एवं अंतिम शेर में तकाबुले रदीफ़ का दोष उत्पन्न हो रहा है.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 14, 2013 at 11:36am

आदरणीय अरुण अनंत भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार !!!!!

आदरणीय किन दो शेरों के विषय मे आपने इशारा किया है , और क्या गलती हुई है कृपा कर बतायें , ताकि मै सुधार कर पाऊँ !!! सादर !!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 14, 2013 at 11:21am

वाह आदरणीय खूबसूरत अशआर उम्दा ग़ज़ल बहुत बहुत बधाई स्वीकारें दो शेर दोषपूर्ण हैं आदरणीय पुनः देख लें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 14, 2013 at 7:12am

आदरणीय सुशील भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!

Comment by Sushil.Joshi on November 14, 2013 at 5:09am

इस सुंदर गज़ल हेतु बहुत बहुत बधाई आ0 गिरिराज जी......


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 13, 2013 at 11:07pm

आदरणीय रमेश भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!!

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