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भोले मन की भोली पतियाँ

भोले मन की भोली  पतियाँ

लिख लिख बीतीं हाये रतियाँ

अनदेखे उस प्रेम पृष्ठ को

लगता है तुम नहीं पढ़ोगे

सच लगता है!

बिन सोयीं हैं जितनीं रातें

बिन बोलीं उतनी ही बातें

अगर सुनाऊँ तो लगता है

तुम मेरा परिहास करोगे

सच लगता है!

रहा विरह का समय सुलगता

पात हिया का रहा झुलसता

तन के तुम अति कोमल हो प्रिय

नहीं वेदना सह पाओगे

सच लगता है!

संशोधित

मौलिक व अप्रकाशित

९॰११॰२००० - पुरानी डायरी से

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Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 11:48am

आभार आ० अरुण जी! आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया से संबल मिला|

अवश्य ही अरुण जी!!

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 11:46am

बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूँ| आप सभी ने रचना को सराहा,

आ० शिज्जु जी! प्रिय संदीप भैया! आ० सारथी जी! आ० संजु जी!

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 11:41am

आ० कल्पना दीदी!

आपके प्रोत्साहन की आभारी हूँ| आपके सुझाव पश्चात रचना को मात्रा पर संतुलित किया है| कृपया दृष्टि पात करके रचना को सार्थक कीजिएगा!  

Comment by Shyam Narain Verma on December 2, 2013 at 11:38am

बहुत सुन्दर भावों से सजी रचना.... बहुत बहुत बधाई ....

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 2, 2013 at 11:16am

आदरणीया गीतिका बेहद सुन्दर रचना भावों तो इतने सुन्दर हैं कि बस मन प्रसन्न हो उठा आदरणीया डायरी के पुराने पन्ने पुनः पलटिये क्या पता ऐसा खजाना और भी मिल जाये. बहुत ही सुन्दर रचना गीतिका जी बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 11:10am

आ० राजेश दी! आपका आभार व्यक्त करती हूँ, आपने रचना के संशय को आशावादी दृष्टिकोण से सराहा| 

Comment by sanju shabdita on December 1, 2013 at 3:42pm

वाह वाह वाह गीतिका जी वाह आपने उस भोले मन को बखूबी चित्रित किया है जो पतियां के आगे रतियां का कोई महत्व स्वीकार नहीं करता ।

भोले मन की भोली  पातियाँ

लिख लिख बीतीं हाये रतियाँ

अनदेखे उस प्रेम पृष्ठ को

लगता है कि नहीं पढ़ोगे

सच लगता है!                       वाह सुंदर अप्रतिम

Comment by कल्पना रामानी on December 1, 2013 at 3:26pm

गीतिका जी, गीत बहुत ही सुंदर है लेकिन अंतरों की लय और मात्राएँ संतुलित हों तो सुंदरता और बढ़ जाएगी।....खूबसूरत  भावाभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Saarthi Baidyanath on December 1, 2013 at 1:37pm

वाह वाह ....शरारत और शोखियों से लबरेज गीतिका ..... बहुत सुन्दर चित्रण ...! बधाई स्वीकार करें :)


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Comment by शिज्जु "शकूर" on December 1, 2013 at 11:50am

वाह बेहतरीन बहुत बढ़िया आदरणीया गीतिका जी अपने मनोभावों का बहुत खूबसूरत वर्णन किया है,बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

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