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कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी--(गीत )

गाँव पँहुचने पर मैय्या जब पूछेगी मेरा हाल सखी

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी

मेरी  चिरैया कितना उड़ती

पूछे जब उन आँखों से 

पलक ना झपके उत्तर ढूंढें  

तब तू जाना टाल सखी

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी

पूछेगी फिर बेला चमेली

कितनी चढ़ी ऊँचाई  पर

इस घर में नही कोई सीढ़ी 

छोटी है दीवाल सखी  

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी

जब वो हंसती कितनी झरती  

मुक्तक मणियाँ मुखड़े से  

समझाना यहाँ मेरी झोली     

अब है मालामाल सखी  

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी

पूछेगी उसकी अँखियों का

कजरा अब कितना खिलता  

खोल के तू अपने हाथों से

देना ये रुमाल सखी

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी 

सुनके मेरी बातें अगर जो        

मैय्या का उर भर आये    

तुझको कसम है इस बहना की

लेना तू संभाल सखी

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी

********************************* 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 20, 2013 at 9:35pm

आदरणीय विजय निकोरे जी गीत आपको पसंद आया मेरा लिखना सफल हुआ हार्दिक आभार आपका 

Comment by vijay nikore on November 20, 2013 at 9:06pm

यह गीत पढ़ कर बहुत आनन्द आया, आदरणीया राजेश जी। बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 20, 2013 at 7:33pm

प्रिय प्राची जी गीत पर आपकी प्रस्तुति और सराहना मिली ,आपका सुझाव भी स्वागत योग्य है ,पहले वही कोशिश की थी किन्तु १७ ,१४ पर ही लय बन पा रही थी सो उसी पर लिख दिया,गीत के भाव आपको पसंद आये दिल से बहुत -बहुत आभार आपका.   


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 20, 2013 at 5:05pm

आदरणीया राजेश जी 

बहुत सुन्दर भावप्रवण लोकगीत प्रस्तुत किया है आपनें 

उत्कृष्ट सुन्दर भाव प्रवणता पर बहुत बहुत बधाई स्वीकारिये..

३२ ३२ की मात्रा के मुखड़े के साथ यदि अंतरे की पंक्तियाँ, १६-१६ रखीं जाएँ तो प्रवाह सुन्दर रहता है.. बस यही थोडा सा अटकाव महसूस हुआ.

सादर शुभकामनाएं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 20, 2013 at 1:11pm

गीत पर आपकी उपस्थिति और सराहना लेखन को सार्थकता प्रदान कर रही हैं बहुत बहुत आभारी हूँ सुनील गुप्ता जी. 

Comment by Sunil Gupta on November 20, 2013 at 11:43am

पूछेगी फिर बेला चमेली

कितनी चढ़ी ऊँचाई  पर

इस घर में नही कोई सीढ़ी 

छोटी है दीवाल सखी  

कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी............बहुत ही भावपूर्ण अति सुन्दर गीत हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया राजेश कुमारी जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2013 at 11:32pm

प्रिय राम शिरोमणि जी आपको  गीत पसंद आया हार्दिक आभार आपका 

Comment by ram shiromani pathak on November 19, 2013 at 11:16pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति  आदरणीया राजेश कुमारी  जी हार्दिक बधाई  आपको///सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2013 at 11:16pm

प्रिय महिमा जी आपको गीत प्रभावित कर सका मेरा लेखन सार्थक हुआ दिल से आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2013 at 11:15pm

शिज्जू भैया आपको गीत पसंद आया दिल से आभारी हूँ. 

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