For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भंवरों ने घेरा

पहुंचाया अवसादों की गर्तो में

संयोग बड़ ही सुखकर थे जिनके

उनके ही वियोग भुजंग बने,लगे डसने

कौन शक्ति? जो हर क्षण

अपनी ही ओर हमें है खींच रही

कल से खींचा,आज छुड़ाया

जो आयेगा वो भी छुटेगा

नश्वरता में इक दिन जीवन ही डूबेगा 

क्षणभंगुरता से हो विकल हृदय

साश्वत खोज में जब भी तड़फा है

मोहवार्तों ने आलिंगन कर

जिज्ञासु तड़फ को मोड़ा है।

खार उदधि की हर विंदु में

रुचिकर रस का भास हुआ

भास भास ही सिद्ध हुआ 

सत कुछ भी तो दिखा नहीं

हे अविनाशी!

अविनाशी कर के भान करा दे

मेरी तड़फ को

जिसकी चिंगारी का 

कुछ बूंदों ने पल में नाश किया।

      -

विन्दु

(मौलिक,अप्रकाशित)

Views: 734

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on December 2, 2013 at 12:14pm

बहुत ही सुन्दर! बहुत उच्च भावयुक्त रचना है ये! जिसे उतना ध्यानाकर्षण नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था! आपको हार्दिक बधाई!

टाइपिंग की गलतियों पर ध्यान दें! इसने मज़ा काफी बिगाड़ा है!

सादर!

Comment by annapurna bajpai on November 26, 2013 at 7:42pm

वाह ! प्रिय वंदना सुंदर भावो का सम्प्रेषण हुआ है कुछ टंकण त्रुटियाँ है उन्हे सही कर लीजिये । इस सुंदर रचना हेतु बधाई । 

Comment by vijay nikore on November 26, 2013 at 6:51pm

आदरणीया विन्दु जी:

 

रचना के गहन भाव अच्छे लगे। खासकर निम्न....

 

//भंवरों ने घेरा

पहुंचाया अवसादों की गर्तो में//

 

//कौन शक्ति? जो हर क्षण

अपनी ही ओर हमें है खींच रही//

//क्षणभंगुरता से हो विकल हृदय

साश्वत खोज में जब भी तड़फा है//

बधाई।

सादर,

विजय निकोर

Comment by Meena Pathak on November 26, 2013 at 2:51pm

बहुत सुन्दर .... बधाई प्रिय वंदना 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 26, 2013 at 2:04pm

सुंदर प्रयास ..सादर बधाई के साथ 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 24, 2013 at 4:13pm

आप अभ्यास  की प्रक्रिया  में है  i

ऐसे ही लिखती रहे

 

मेरी शुभकामनाये i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 24, 2013 at 9:05am

बहुत ही गहन व् सुंदर भाव से संजोयी पंक्तियाँ, बधाई स्वीकारें आदरणीया वंदना जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 23, 2013 at 9:25pm

आदरणीया वन्दना जी , !!!!!!! सुन्दर प्रस्तुति के लिये आपको बधाई !!!!! आदरणीया गीतिका जी की बातों को ध्यान ज़रूर दें !!!!!!!!

Comment by umesh katara on November 23, 2013 at 4:41pm

शानदार प्रस्तुति की है बधायी हो सर

 

Comment by वेदिका on November 23, 2013 at 1:21pm

संयोग बड़ ही सुखकर थे जिनके

उनके ही वियोग भुजंग बने,लगे डसने...... उक्त पंक्तियाँ बहुत प्रभावशाली है रचना मे! 

रचना मे शब्दों की अशुद्धियाँ है! शीर्षक तड़फ/ तड़प...?

प्रयास पर बधाई !!  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
18 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service