दूर बैठे थे उनसे कभी हम आज कितने करीब आ गये
दिल ने किया कब दिल से बाते इससे अंजान हो गये
बातो ही बातो हम एक दूजे की नजरो में खो गये
मगर लगी जो नजर प्यार पर एक दूजे से दूर हो गये
कभी अपने लगते थें जो रास्ते आज बेगाने हो गये
किसकी जुबान से निकला क्या हम ढूढ़ते रह गये
चॉंद ढ़ले तक करते बात जो अब चॉंद निकलते सो गये
एक झलक पाये उनका अब लगता वर्षो हो गये
एक ही तो प्यार था मेरा वो जाने कहॉं अब खो गये
कभी अपने लगते थे जो रास्ते आज बेगाने हेा गये
मेरी खुशी,सपने, चाहते कभी उन्ही के थे हो गये
हर कदम पर था साथ उनका कदम वो आज खो गये
नेह की इस प्रीति बंधन को जाने क्यों वह तोड़ गये
लौटेगा अखंड कभी तुम्हारा प्यार इंन्तजार में रह गये
कभी अपने से लगते थे जो रास्ते आज बेगाने हो गये।
मौलिक व अप्रकाशित अखंड गहमरी
Comment
सादर धन्यवाद आदरणीये आप सबको नमन
आदरणीय अखंड जी ..सुंदर रचना पर तहे दिल बधाई
सुन्दर प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई आदरणीय
सुंदर रचना प्रस्तुति पर बधाई आदरणीय अखंड जी
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ……………… |
टूटे दिल से निकली आह कविता के रूप में। हार्दिक बधाई अखंड भाई , सुंदर रचना के लिए॥
अखंड जी
भगवान् आपकी हसरते पूरी करे i निराश न हो i
आपकी भाव प्रवणता पर आपको बधाई i
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