2122 2122 ( बिना रदीफ )
जो भरा है वो बहेगा
रिक्तता है तो भरेगा
डर हमे काहे सताये
प्राण जिसमें है मरेगा
कानों सुनके आँखों देखे
चुप भला कैसे रहेगा
लेखनी पे हो नज़र तो
वो नज़र से ही कहेगा
गर्त पूछे आदमी से
और कितना तू गिरेगा
जो ज़हर सा बोलता है
बस वही पीड़ा हरेगा
खूब मीठा बोल मत तू
देखना कीड़ा पड़ेगा
ज़ोर मिल कर सब लगायें
देखिये पर्वत हिलेगा
नेक - बद दोनों खड़े है
सोचते हैं क्या मिलेगा ?
*****************
मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )
Comment
बात जितनी सादगी से कही जाए उतनी पसंद आती है शब्दों को घुमा कर वाक्य बनाना मजबूरीवश किया जाए तो समझ आता है मगर जब बहर की दिक्कत न खडी हो रही हो तो वाक्य गद्य के जैसा ही रहे तो लुत्फ़ बढ़ जाता है ...
और कितना तू गिरेगा को और तू कितना गिरेगा किया जा सकता है
गर्त पूछे आदमी से
और कितना तू गिरेगा...........क्या बात, क्या बात ..बहुत ख़ूब ..बधाई
आदरणीय सन्देप भाई , !!!!! ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!
वाह वाह सर जी बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने
गर्त पूछे आदमी से
और कितना तू गिरेगा ............ग़ज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब
दिली दाद हाजिर है आपकी इस ग़ज़ल के लिए जय हो
आदरणीय अरुण अनंत भाई , !!!!!!!!!!!!!!!!! गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
आदरणीय गिरिराज सर बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.
ओह. ऐसा .. !
खैर.
आदरणीय सौरभ भाई , अपने सही कहा कि सुधारना अधिक उचित बात होती , पर इस समय मै आपका इशारा समझ नही पा रहा हूँ , कि कौन सी गलती को सुधारूँ , जब आपने कहा है तो गलती तो ज़रूर होगी मै ये मानता हूँ , शिल्प के लिहाज़ से सही लग रही है , भाषा या सोच के लिहाज से शायद गलती हो , असमंजस मे था और अभी भी हूँ !! इसीलिये मैने उसे फिलहाल निकाल दिया है , पर सुधार की कोशिश अभी भी कर रहा हूँ !!!! मै प्रयास ज़रूर करूंगा !!!! उचित सलाह के लिये आभार !!!!
आदरणीय उस शेर को हटाने के स्थान पर उसमें सुधार किया होता आपने तो अधिक उचित बात होती.
बाकी ठीक है.
सादर
आदरणीया महिमा श्री जी , !!!!!!! गजल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online