लक्ष्मी है तू गेह की, तू मेरा सम्मान
सबको देना मान तू ,भाई पिता समान /
बेटी है तो क्या हुआ तू है घर की लाज
हमारा तू गुरूर है, मेरी तू आवाज /
बनना मत तू दामिनी,सहकर अत्याचार
लेना दुर्गा रूप तू ,करना तू संहार /
मत घबराना तू कभी, जो हो जग बेदर्द
तू है दुर्गा कालिका ,मत सहना तू दर्द /
जिसका तुझसे हो भला,उसके आना काम
अबला नारी जो दिखे ,उसको लेना थाम /
..............मौलिक व अप्रकाशित .......
Comment
आपकी यह सीख हर बेटी के लिए भी है और हर माँ के लिए भी कि बेटी को कैसी शिक्षा देनी चाहिए ॥ हार्दिक बधाई आदरणीया सरिताजी इस शिक्षाप्रद सुंदर दोहे के लिए॥
जिसका तुझसे हो भला,उसके आना काम
अबला नारी जो दिखे ,उसको लेना थाम /
एक सार्थक सीख जिसकी आज बेहद जरूरत है, सादर
आदरणीय सरिया जी , सन्देश देती आपके दोहावली अच्छी लगी , आपको हार्दिक बधाई !!!!
मेरा तू गुरूर है, - इसमे 12 मात्रा है , सुधार लीजियेगा !!!!
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