For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्यार में होता सदा ही दर्द क्यों है ?

प्यार में होता सदा ही दर्द क्यों है ?

यह जमाना हो गया बेदर्द क्यों है ?

है बिना दस्तक चला आता सदा जो

वो बना यूँ आज फिर हमदर्द क्यों है ?

छू रही है रूह मेरी आते जाते

यह तुम्हारी साँस इतनी सर्द क्यों है ?

अपनी यादों को समेटे जब गए हो

आज यादों की उठी फिर गर्द क्यों है ?

प्यार पर करता जुल्म हर रोज है जो

वो समझता खुद को जाने मर्द क्यों है ?

तुम समझती हो मुहब्बत जिसको सरिता

वो बना तेरे लिए सरदर्द क्यों है ?

............मौलिक व अप्रकाशित ............

Views: 671

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sarita Bhatia on December 5, 2013 at 12:01pm

सभी गुनीजनों का हार्दिक आभार ,मैं दोबारा से यह गजल संशोधित कर डालती हूँ मार्गदर्शन करते रहें 

Comment by Saarthi Baidyanath on December 4, 2013 at 12:06pm

शिल्प में चूक होना सामान्य बात है ...! बड़े बड़े लोगों से भी हो जाती है , सीखना अत्यावश्यक है !आपके सराहनीय प्रयास को नमन करता हूँ ! 

Comment by नादिर ख़ान on December 4, 2013 at 11:24am

शुक्रिया शिज्जु शकूर जी ...

आभार....

Comment by नादिर ख़ान on December 4, 2013 at 11:22am

आदरणीया सरिता जी, हम भी इस मंच के माध्यम से सीख रहे है ।

हमारा गज़ल ज्ञान आपसे भी कम है, इसलिये मार्गदर्शक नहीं, अपनी कक्षा का सहपाठी ही समझें ।

आभार....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 3, 2013 at 11:35pm

आदरणीय सरिता जी यहाँ ईता दोष है आपकी रचना ग़ज़ल होते होते रह गई 

//इसलिये बाकी के शेर मेंकाफिया हमदर्द,सरदर्द तो ठीक है,// जनाब नादिर साहब हमदर्द और सरदर्द हमकाफिया नही हो सकते

//पर क्या हम यहाँ क़ाफ़िया सर्द ,गर्द,मर्द use कर सकते हैं?// जी हाँ यहाँ आप सही हैं

Comment by Sarita Bhatia on December 3, 2013 at 7:25pm

आदरणीय सुशील सरना जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on December 3, 2013 at 7:24pm

आदरणीय डॉ गोपाल जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on December 3, 2013 at 7:21pm

आदरणीय नादिरखान जी शुक्रिया मार्गदर्शक बने रहें 

Comment by Sarita Bhatia on December 3, 2013 at 7:19pm

शुक्रिया राम भाई 

Comment by Sarita Bhatia on December 3, 2013 at 7:19pm

आदरणीय गिरिराज जी शुक्रिया मार्गदर्शन के लिए ,बाकी गुनीजनों की राय का मुझे भी इंतज़ार है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"दम्भ अपना भी उसे यार दिखाने देना पास बैठे वो अगर उठके न जाने देना।१। * गीत मेरे हैं भले एक न शिकवा…"
3 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"दर्द आज उनको सभी अपने मिटाने देना  मुझको ठोकर भी लगाएँ तो लगाने देना  उसके अरमानों को…"
7 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी घनाक्षरी रची है. गेयता के लिए अभी और…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर प्रस्तुतियाँ हैं…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   दिखती  न  थाह  कहीं, राह  कहीं  और  कोई,…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  रचना की प्रशंसा  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार|"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  घनाक्षरी के विधान  एवं चित्र के अनुरूप हैं चारों पंक्तियाँ| …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में धार जल की शांत है,या…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया, उतरा मधुमास जो,…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service