मैं तारों से बातें करता हूँ
जब गहन तिमिर के अवगुंठन में
धरती यह मुँह छिपाती है
मैं तारों से बातें करता हूँ
झिल्ली जब गुनगुनाती है.
(2)
फुटपाथों पर भूखे नंगे
कैसे निश्चिंत हैं सोये हुए
उर उदर की ज्वाला में
जाने क्या सपने बोये हुए.
(3)
दो बूंद दूध का प्यासा शिशु
माँ की आंचल में रोता है
रोते रोते बेहाल अबोध
फिर जाने कैसे सो जाता है!
(4)
क्या उसके भी सपनों में
कोई, सपने लेकर आता है
क्या उसके जीवन का सरगम
यह विश्व चराचर गाता है?
(5)
मेरे सपने तो टूट गये
कुछ बिखर गये अंधेरे में
कुछ तारे बनकर लटक गये
दूर गगन के डेरे में.
(6)
जो बिखर गये वो बिखर गये
मैं अब उन्हें नहीं चुनता
चंद किरणों के धागों से मैं
नये सपनों का जामा बुनता.
(7)
भूखा शिशु सो सकता है
होठों पर मुस्कान लिये
धरती का अवगुंठन हटता
प्राची का वरदान लिये.
(8)
अब मैं नहीं होता निराश
प्रकृति जब गीत सुनाती है
मैं तारों से बातें करता हूँ
झिल्ली जब गुनगुनाती है.
(मौलिक तथा अप्रकाशित)
Comment
सुन्दर
आदरणीय भाई पाठक जी, हर्दिक आभार.
जब किसी ऐसे की कलम से 'वाह', 'अप्रतिम' आदि प्रशंसासूचक शब्द निकलते हैं जिसकी रचना पढ़ने के लिये उन्मुख रहता हूँ तो अपनी रचना की सार्थकता जैसे मेरे सामने बैठकर मुस्कुराती हुई नज़र आती है....मुझे प्रेरणा मिलती है....संतोष मिलता है....तृप्ति मिलती है. हार्दिक आभार बृजेश जी.
आदरणीय अखिलेश जी, मेरी रचना को ध्यान से पढ़ने के लिये आभारी हूँ. जी, मैं मानता हूँ कि 'यह' से लय में अवरोध उत्पन्न हो रहा है...लेकिन "धरती मुँह को छिपाती है" से समस्या का हल नहीं हो रहा है. शायद बेहतर होगा यदि सिर्फ़ "धरती मुँह छिपाती है" लिखा जाये. आपके विचारों का सदा स्वागत है. सादर.
आदरणीया मीना जी, आपका हार्दिक आभार.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय........... बहुत बहुत बधाई आपको
वाह! अप्रतिम! आपको हार्दिक बधाई!
आप लाजवाब हैं सर जी!
बहुत सुंदर शर्दिंदु भाई हार्दिक बधाई।। धरती यह मुँह छिपाती है // धरती मुँह को छिपाती है // यह से लय में अवरोध ह।.... सादर
बहुत सुन्दर रचना आदरणीय | सादर बधाई स्वीकारें
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online