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एक बार हमें भी लगा कि हमें शायर बनना चाहिये हमने शुरुआत की, हमने शुअरा को पान खाते देखा तो हमें लगा यह भी शायर बनने के लिये ज़रूरी है सो हमने शुरुआत यहीं से की l

आनन फानन कुछ अशआर लिख मारे और छपवाने के लिये मशहूर अखबार के दफ़्तर गये जहाँ हमें हमारी शख़्सियत को देखते हुये संपादक से मिलने का सौभाग्य मिला l

संपादक महोदय ने ऊपर से नीचे तक हमें देखा और हमारे हाथ से लेकर हमारी रचनाये पढ़ने के बाद संपादक महोदय ने कुछ कहने की भी जहमत नही उठाई, वो अपने मनहूस लैपटॉप पर कोई फिल्म देख रहे थे उन्होने कुछ किया और लैपटॉप का स्क्रीन हमारी तरफ कर दिया और इशारे से सुनने को कहा l

पुलिस बने अभिनेता अवतार गिल कह रहे थे- “आप शराफत से बाहर जायेंगे या धक्के देकर बाहर निकालूँ”

और हमारे शायर बनने का सपना टूट गया l

-मौलिक व अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 10, 2013 at 6:17pm

हा हा हा हा.....   इस तरह के लेखन को कभी अख़बारी स्तम्भों में बतकूचन या बैठे-ठाले आदि के तहत छपने का सौभाग्य मिलता था.

अब ओबेओ सही..  :-))))))

मज़ेदार है !!

शुभेच्छाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 6, 2013 at 9:13pm

आदरणीय विजय सर आपका आभार

Comment by vijay nikore on December 6, 2013 at 9:09am

पढ़ कर आनन्द आया। बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 5, 2013 at 9:06pm

आदरणीय शुभ्रांशुजी फिल्मी बेइज़्ज़ती हुई है, सपना अंदर टूटा और पान बाहर गिरा।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 5, 2013 at 9:04pm

भाई जीतेन्द्र जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया, बस दिमाग में आया और लिख मारा,

Comment by Shubhranshu Pandey on December 5, 2013 at 12:05pm

वाह वाह बेइज्जती वो भी अवतार गिल से....पान का गुल्गुला कहाँ उगला चैंबर के अन्दर या बाहर निकलते ही...

सादर..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 5, 2013 at 10:23am

आदरणीय शिज्जू जी ,मजा आ गया...:)), बहुत बढ़िया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 5, 2013 at 9:16am

भाई रामशिरोमणि जी, आदरणीया कुन्तीजी, आदरणीय निलेशजी, आदरणीया वंदनाजी हौसलाअफ़्ज़ाई के लिये और रचना को मान देने के लिये आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया

Comment by Vindu Babu on December 5, 2013 at 8:27am

क्या बात है आदरणीय शिज्जू जी!

हा हा...अंदाज अच्छा लगा।

सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 5, 2013 at 7:40am

बहुत बे आबरू हो कर .... हा हा हा 

कृपया ध्यान दे...

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