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जब तलक पँहुचे लहर अपने मुहाने तक
साथ क्या दोगे मेरा तुम उस ठिकाने तक
हीर राँझे की कहानी हो बसी जिसमे
ले चलोगे क्या मुझे तुम उस जमाने तक
प्यार का सैलाब जाने कब बहा लाया
हम सदा डरते रहे आँसू बहाने तक
थी बहुत मासूम अपने प्यार की मिटटी
दर्द ही बोते रहे अपने बेगाने तक
क्यों करें परवाह हम अब इस ज़माने की
हर कदम पे जो मिला बस दिल दुखाने तक
छोड़ दी किश्ती भँवर में देख साथी रे
जिंदगी गुजरे फ़कत अब इक फ़साने तक
तू मेरा महबूब अब ये जिंदगी तेरी
खूब गुजरेगी ख़ुदा के पास जाने तक
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(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
हीर राँझे की कहानी हो बसी जिसमे
ले चलोगे क्या मुझे तुम उस जमाने तक
क्यों करें परवाह हम अब इस ज़माने की
हर कदम पे जो मिला बस दिल दुखाने तक,,,,,,,बेहतरीन ग़ज़ल ..हर अशार शानदार ..एक प्रेमी दिल अंतस में उठती कामनाओं और प्रश्नों का शानदार चित्रण करती ग़ज़ल डरते डरते प्यार करते हैं प्यार करते करते डरते हैं ..कोई डर न हो ...आखिरी शेर तक यह डर ख़त्म हो गया ..ग़ज़ल का सुखद अंत एक बिश्वास के साथ ...वाकई दिल को छूने वाले रचना ...ढेरों बधाई ..सादर प्रणाम के साथ
प्रिय सरिता जी आपको ग़ज़ल पसंद आई हृदय तल से आभार आपका सस्नेह.
वाह दी वाह लाजवाब मतला और जानदार अशआर ,हार्दिक बधाई
जीतेन्द्र गीत जी बहुत-बहुत शुक्रिया आपको ग़ज़ल पसंद आई ,ग़ज़ल के अशआर पाठकों के दिलो तक पंहुचे यही ग़ज़ल का उद्देश्य होता है ख़ुशी है मुझे की उसमे ये ग़ज़ल कामयाब हो रही है ,तहे दिल से आभारी हूँ
जब तलक पँहुचे लहर अपने मुहाने तक
साथ क्या दोगे मेरा तुम उस ठिकाने तक.........लाजवाब मतला,
थी बहुत मासूम अपने प्यार की मिटटी
दर्द ही बोते रहे अपने बेगाने तक..................क्या बात है, यह शेर बहुत पसंद आया
बहुत खुबसूरत गजल, हृदय से बधाई स्वीकारें आदरणीया राजेश जी
बैद्य नाथ जी आपकी सराहना पाकर बहुत उत्साहित हूँ मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से आभार आपका.
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी तहे दिल से आभार आपका ग़ज़ल आपको पसंद आई.
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ग़ज़ल आपकी दाद पाकर धन्य हुई तहे दिल से आभारी हूँ.
तू मेरा महबूब अब ये जिंदगी तेरी
खूब गुजरेगी ख़ुदा के पास जाने तक....इस शेर के लिए दिली दाद ..जिंदाबाद जिंदाबाद !....अच्छी ग़ज़ल हुई है ...:)
महनीया
क्या बात है ? बहुत सुन्दर भाव i
बधाई हो i
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