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कुंडलिया छंद - लक्ष्मण लडीवाला

गाली देते लोग जो , बोलें कभी सटीक,

गाली या अपशब्द क्या, लगते प्रेम प्रतीक ?

लगते प्रेम प्रतीक, कूल क्या उन्हें समझना
उनका ही उपहास, समझते जिनको अपना ||

यह तो है अपवाद, कहें सब प्रिय को साली.
स्नेह-प्रीति संवाद, न समझें इसको गाली ||

.
(2)
तू तू मै मै में करे, आपस में जो बात,
समझें इसको सभ्यता, या उनकी औकात |

या उनकी औकात, स्नेह की कहाँ निशानी
निखर सके व्यक्तित्व, अगर दिल हो इन्सानी |

कहे लक्ष्मण शब्द, सभ्य-कुल में जो जन्मे
मन में हो सद्भाव, करे क्यों तू तू मै मै ||

(मौलिक व् अप्रकाशित)

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 23, 2013 at 6:35pm

दोनों कुंडलिया छंद आपके सुझावानुसार पुनः संशोधित कर एडिट कर रहा हूँ आदरणीय | आपका हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 19, 2013 at 4:46pm

दोनों कुण्डलियों में से निम्नलिखित इन तीन पदों को देख लें, आदरणीय -


लगते दमित प्रतीक, उनको न कूल समझना
निखर सके व्यक्तित्व, झलके भाव इन्सानी |
रखते जो सद्भाव, करते न तू तू मै मै ||

दोनों कुण्डलियाँ के सभी पदों की कुल मात्राओं पर आप स्वयं दृष्टि डाल लेंगे ऐसा विश्वास है.

सतत प्रयासरत रहने के लिए सादर धन्यवाद

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 14, 2013 at 4:43pm

छंद पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय श्री विजय निकोरे जी 

Comment by vijay nikore on December 13, 2013 at 11:48pm

सुन्दर छंद के लिए बधाई।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 13, 2013 at 9:54pm

छंद पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीया अनुपमा बाजपेई जी 

Comment by annapurna bajpai on December 12, 2013 at 8:53pm

सुंदर भाव संप्रेषित करती रचना , बधाई आपको आ० लक्ष्मण जी । 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 12, 2013 at 7:15pm

आपका हार्दिक आभार श्री सूबे सिंह सुजान जी, श्री राम शिरोमणि पाठक जी, श्री गिरिराज भंडारी जी और आदरणीया वन्दना जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 11, 2013 at 5:16pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , शिल्प का ज्ञान नही है ,  सुन्दर सन्देश देती रचना के लिये आपको बधाई !!!!!

Comment by vandana on December 11, 2013 at 7:40am

बहुत सुन्दर सन्देश आदरणीय 

Comment by ram shiromani pathak on December 10, 2013 at 9:54pm

सुन्दर कुंडलियां छंद आदरणीय। ..... हार्दिक बधाई आपको
एक निवेदन है कहीं कहीं गेयता भंग है उसे देख लीजियेगा और
जिन्हें समझते अपना। ... यहाँ 12 मात्राएँ हो रहीं है। ... सादर

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