For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुंडलिया छंद - लक्ष्मण लडीवाला

गाली देते लोग जो , बोलें कभी सटीक,

गाली या अपशब्द क्या, लगते प्रेम प्रतीक ?

लगते प्रेम प्रतीक, कूल क्या उन्हें समझना
उनका ही उपहास, समझते जिनको अपना ||

यह तो है अपवाद, कहें सब प्रिय को साली.
स्नेह-प्रीति संवाद, न समझें इसको गाली ||

.
(2)
तू तू मै मै में करे, आपस में जो बात,
समझें इसको सभ्यता, या उनकी औकात |

या उनकी औकात, स्नेह की कहाँ निशानी
निखर सके व्यक्तित्व, अगर दिल हो इन्सानी |

कहे लक्ष्मण शब्द, सभ्य-कुल में जो जन्मे
मन में हो सद्भाव, करे क्यों तू तू मै मै ||

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 550

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 23, 2013 at 6:35pm

दोनों कुंडलिया छंद आपके सुझावानुसार पुनः संशोधित कर एडिट कर रहा हूँ आदरणीय | आपका हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 19, 2013 at 4:46pm

दोनों कुण्डलियों में से निम्नलिखित इन तीन पदों को देख लें, आदरणीय -


लगते दमित प्रतीक, उनको न कूल समझना
निखर सके व्यक्तित्व, झलके भाव इन्सानी |
रखते जो सद्भाव, करते न तू तू मै मै ||

दोनों कुण्डलियाँ के सभी पदों की कुल मात्राओं पर आप स्वयं दृष्टि डाल लेंगे ऐसा विश्वास है.

सतत प्रयासरत रहने के लिए सादर धन्यवाद

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 14, 2013 at 4:43pm

छंद पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय श्री विजय निकोरे जी 

Comment by vijay nikore on December 13, 2013 at 11:48pm

सुन्दर छंद के लिए बधाई।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 13, 2013 at 9:54pm

छंद पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीया अनुपमा बाजपेई जी 

Comment by annapurna bajpai on December 12, 2013 at 8:53pm

सुंदर भाव संप्रेषित करती रचना , बधाई आपको आ० लक्ष्मण जी । 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 12, 2013 at 7:15pm

आपका हार्दिक आभार श्री सूबे सिंह सुजान जी, श्री राम शिरोमणि पाठक जी, श्री गिरिराज भंडारी जी और आदरणीया वन्दना जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 11, 2013 at 5:16pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , शिल्प का ज्ञान नही है ,  सुन्दर सन्देश देती रचना के लिये आपको बधाई !!!!!

Comment by vandana on December 11, 2013 at 7:40am

बहुत सुन्दर सन्देश आदरणीय 

Comment by ram shiromani pathak on December 10, 2013 at 9:54pm

सुन्दर कुंडलियां छंद आदरणीय। ..... हार्दिक बधाई आपको
एक निवेदन है कहीं कहीं गेयता भंग है उसे देख लीजियेगा और
जिन्हें समझते अपना। ... यहाँ 12 मात्राएँ हो रहीं है। ... सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ। हम भटकते रहे हैं…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"ग़ज़ल वो दगा दे गए महब्बत मेंलुट गए आज हम शराफत में इश्क की वो बहार बन आयेथा रिझाया हमें नफासत…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी तरही मिसरे पर आपने ख़ूब ग़ज़ल कहीं। हार्दिक बधाई। अमित जी की टिप्पणी के अनुसार बदलाव…"
9 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, मेरा आशय है कि लिख रहा हूँ एक भाषा में और नियम लागू हों दूसरी भाषा के, तो कुछ…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"... और अमित जी ने जो बिंदु उठाया है वह अलिफ़ वस्ल के ग़लत इस्तेमाल का है, इसमें…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
".हम भटकते रहे हैं वहशत में और अपने ही दिल की वुसअत में. . याद फिर उस को छू के लौटी है वो जो शामिल…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. संजय जी,/शाम को पुन: उपस्थित होऊंगा.. फिलहाल ख़त इस ग़ज़ल का काफ़िया नहीं बनेगा ... ते और तोय का…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//चूँकि देवनागरी में लिखता हूँ, इसलिए नस्तालीक़ के नियमों की पाबंदी नहीं हो पाती है। उर्दू भाषा और…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गिरह भी अच्छी लगी है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।  6 सुझाव.... "तू मुझे दोस्त कहता है…"
13 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service