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आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ह्रदय से आभार।
savitamishra mam....आभार !
बर्फ़ पिघलेने लगी.. . वाह ! यह पंक्ति-प्रयोग ही सुखद है !!
सादर
बहुत सुंदर
मेरी भावनाओं ने आपको स्पर्श किया जितेन्द्र भाई ,आभार !
बहुत सुंदर भाव, बधाई स्वीकारें आदरणीय अविनाश जी
आभार Dr.Prachi Singh mam
शुक्रिया Maheshwari Kaneri mam..
आभार Shyam Narain Verma जी
आदरणीय अविनाश जी
प्रस्तुति...न तो मात्रिकता का निर्वहन कर रही है, न ही किसी निश्चित वार्णिक क्रम में शब्द बंधे हैं, न ही तुकांतता को सही लिया गया है..
मुझे इस अभिव्यक्ति में भाव/पृष्ठभूमि/उद्देश्य भी बहुत स्पष्ट या फिर सशक्त नहीं लगे.. यह रचना सुगढ़ होने के लिए अभी कुछ और समय की मांग करती दिखती है.
फिलहाल इस प्रयास पर शुभकामनाएं स्वीकारें
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