For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हथियार
==========
क्या नारी ने
सारी शक्तिया
समाहित कर ली हैं
खुद में ही
या इस्तेमाल हो रही हैं
हथियार की तरह
या हथियार बन
उठ खड़ीं हो गयी हैं
खुद ही संघार
करने के लिए
पापियों का
क्या अच्छे लोग भी
फंस रहे हैं इस
मकड़जाल में
खूब की हमने भी
माथा पच्ची पर
भगवान् ना थे हम
कि सुन-समझ-देख पाए
आखिर मांजरा क्या हैं
समझ पाए कि कौन
इस्तेमाल हो रहा हैं
कौन किया जा रहा हैं
और कौन खुद ही
अनजाने में ही सही
इस्तेमाल हो चुका हैं
साक्षात् भगवान् भी
आ जाये आज तो
ना समझा पाए हमें
कारक कर्म और कर्ता
के बीच की कड़ी
असमंजस में हैं हम
किसे कहें सही
मरने वालों को या
जिन्दा रह
सारे आरोपों को
झेलने वालो को
इस असमंजस से
ये नारी तू ही हैं बस
जो उबार सकती हैं हमें
पर अफ़सोस तू
खामोश हैं|.


सविता मिश्रा
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 626

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on December 21, 2013 at 10:44pm

राजेश sis bahut bahut abhar apka ...

Comment by savitamishra on December 21, 2013 at 10:43pm

अरुण भैया धन्यवाद आपका ...गलतियों पर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद ......क्या यहाँ इसे सही कर सकते हैं?

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 21, 2013 at 1:39pm

आदरणीया सविता जी मन के भीतर उठ रहे प्रश्नों को सुन्दरता से पिरोया है आपने. मांजरा को माजरा कर लें और दो - तीन जगह हैं की बजाय है होना चाहिए था कृपया देख लें. बधाई इस सुन्दर रचना पर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2013 at 8:08pm

सुन्दर विषय पर लिखा है आपने भाव बहुत अच्छे हैं ,सही कहा इस मकडजाल में कई बार सही लोग भी फंस जाते हैं खुद को कोई कितना बचाता है ये उसी पर निर्भर करता है ..सुन्दर प्रस्तुति 

Comment by savitamishra on December 20, 2013 at 7:07pm

coontee sis dhanyvaad apka

Comment by savitamishra on December 20, 2013 at 7:05pm

गिरिराज भाई तहेदिल से धन्यवाद

Comment by coontee mukerji on December 20, 2013 at 1:57pm

सविताजी, नीति तो कहती है मकड़जाल से दूर रहना ही बहतर है.सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 20, 2013 at 11:00am
आदरनीया , बहुत सुन्दर विषय पर आपने अच्छी रचना की है , दोनो के लिये आपको बधाई ॥
Comment by savitamishra on December 19, 2013 at 10:07pm

आभार आप सभी का ....

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on December 19, 2013 at 7:38pm

कविता के भाव गहरे हैं। सुन्दर प्रस्तुति। बधार्इ स्वीकारें।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service