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अप्रतिम---मधुर नव गीत !! ह्रदय में नव वर्ष की ताज़गी भर दिया इस रचना ने , नमन वंदन और नव वर्ष पर नव प्रणाम अग्रज श्री !!
बेहद सुंदर मनमोहक गीत, अपनी ओर आकर्षित पंक्तियाँ, बधाई स्वीकारें आदरणीय सौरभ जी
आदरणीय सौरभ भाई , क्षमा ! क्षमा ! क्षमा ! - तहे दिल से आपसे क्षमा मांगता हूँ । कल आपके नव गीत पर प्रतिक्रिया दिया था , और अपने खुद के अज्ञानता बोध की बात कही थी , उसमे मैने एक पंक्ति किसी शायर की भी लिखी थी , जो मुझे बाद मे अनावश्यक लगी । जिसे एडिट करने के लिये मै प्रयास कर ही रहा था कि लाइट गोल हो गई , और प्रतिक्रिया डिलिट हो गई ॥ सवेरे आपकी नवगीत समझाते हुये मेरे नाम से प्रतिक्रिया देखी । मुझे बहुत शर्मिन्दगी हुई । कृपा कर आप मुझ अज्ञानी को क्षमा करें ॥
आप सभी गुणीजन मेरे आदर्श हैं , आपकी रचना का मान मेरी कोई पंक्ति कम न कर दे , इसी भाव से मै उस शायर की पंक्ति को हटा देना चाहता था । सदाशय मे हुई गलती को क्षमा करें ।
आपकी सुन्दर नवगीत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ॥॥
आँखों को तुम
और मुखर कर नम कर देना
इसी बहाने होंठ हिलें तो
सब कह जाना..
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना... :))
वाह, सुन्दर गीत आदरणीय सौरभ जी !
इसी गीत के साथ, नववर्ष मंगलमय हो !!
बहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीया मीनाजी
आदरणीय लक्ष्मण प्रसादजी, आप जैसे भावुकहृदय वरिष्ठों से रचना पर प्रशंसा पाना मेरे लिए आत्मीय संतोष का कारण है.
रचना को पसंद करने केलिए आपका सादर धन्यवाद
ह्रुदय से धन्यवाद, भाई बैद्यनाथ सारथीजी. आपकी स्वीकृति मुझे भी आश्वस्त कर रही है.
शुभ-शुभ
भाई अरुन अनन्तजी, आपको नवगीत के भाव रुचिकर लगे, बस समझिये मेरा रचनाकर्म सार्थक हुआ..
हार्दिक बधाई..
आदरणीय़ अविनाश भाईजी, आपकी संवेदना ने नवगीत के इंगितों को भरपूर मान दिया है. आपकी हसलाअफ़जाई के लिए हृदय से धन्यवाद
आदरणीय गोपाल नारायनजी,
आपने बहुत समय दिया, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद
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