For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“एक पोता भी  नही दे सकी कलमुंही”  वार्ड में सास की आवाज़ गूँजी,

इतने में अंदर आते हुये डॉक्टर ने जब ये सुना तो कहा- “पति के शरीर में एक्स- वाई(X-Y) क्रोमोसोम्स होते हैं, पत्नि के शरीर में एक्स-एक्स(X-X) क्रोमोसोम्स होते हैं, पति का वाई(Y) क्रोमोसोम पत्नि के एक्स(X) क्रोमोसोम से मिलता है तो बेटा होता है, पति का एक्स(X) क्रोमोसोम पत्नि के एक्स(X) क्रोमोसोम से मिलता है तो बेटी होती है l

पता नही आपके क्या समझ में आया?  लेकिन इतना सच जान लीजिये आपको पोता नही मिला उसका पूरा दोष आपके बेटे का है।“

 

बहू की आँखें मानो पूछ रही थी- “ क्या अब आप अपने बेटे से बोल सकती हैं एक पोता भी नही दे सका.....................?”

 

-मौलिक व अप्रकाशित

 

Views: 1061

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 25, 2013 at 11:04am

जब तक इन्सान अपनी  मानसिकता न बदल ले तब तक डाक्टर क्या, भगवान भी आ जाये तो भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा, बहुत अच्छी लघुकथा आदरणीय शिज्जू जी हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by vandana on December 25, 2013 at 6:56am

मार्मिक किन्तु सत्य बयां करती रचना आदरणीय शिज्जू जी 

Comment by upasna siag on December 24, 2013 at 10:22pm

नहीं बोल सकती थी .... रिवाज़ ही नहीं है !

Comment by coontee mukerji on December 24, 2013 at 10:21pm

बहुत सुंदर व अच्छा संदेश दिये है शिज्जू जी. हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 24, 2013 at 6:58pm

आपका आभार आदरणीया अन्नपूर्णाजी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 24, 2013 at 6:58pm

आदरणीय तपन जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 24, 2013 at 6:57pm

आदरणीय गणेश जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 24, 2013 at 6:57pm

आदरणीय योगराज सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया,
मैंने बहुत कोशिश की लेकिन ये क्रोमोसोम के बारे में कैसे लिखूं समझ में ही नही आ रहा था इसलिये जो मैं जानता था जस का तस उतार दिया, आपका मार्ग दर्शन अपेक्षित है।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 24, 2013 at 6:51pm

आदरणीया मीना जी आपका आभार,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 24, 2013 at 6:48pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service