तेरी सूरत का नज़ारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।
बस धड़कने का सहारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।
बेवफाई कि खिजां में खो गया था जो कभी ,
प्यार का मौसम दुबारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।
जिनकी कातिल सी अदा पर मर मिटा था ये कभी ,
उन निगाहों का इशारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।
रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,
आज फिर टूटा सितारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।
भूलकर दुनिया के सारे आशियाँ और मकाँ ,
तेरे आँचल में गुज़ारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।
मौलिक व अप्रकाशित
नीरज 'प्रेम'
Comment
आदरणीय अरुण भाई आपका मतलब है
रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,
इस पंक्ति को बोलने पर स्वर बाधित हो रहा है और शायद इसी को
तकाबुले रदीफ़ का दोष भी कहते हैं मै कोशिश करता हूँ इसे ठीक करने की
ग़ज़ल कक्षा का अध्ययन करूँ तो शायद और भी सारी कमियों को जान पाऊँ
और अब समझ भी पा रहा हूँ ग़ज़ल संगीत से किस तरह जुड़ी है और पूरी तरह
मुझे लगता है संगीत पर ही आधारित है जहाँ एक छोटा सा स्वर भी बाध्य नही होता
है इतना सबकुछ सिखाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया बहुत बहुत आभार
।
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत शुक्रिया करता हूँ आपका ।
विधान और शिल्प के हिसाब से आपकी अबतक की सबसे सार्थक प्रस्तुति को पढ़ रहा हूँ. इस भावपूर्ण ग़ज़ल के हो जाने पर दिल से बधाई लीजिये भाईजी.
आपने २१२२ २१२२ २१२२ २१२ के वज़्न में मिसरे बाँधे हैं. इसे बता भी दिया होता. इस बिना पर आखिरी शेर का पहल मिसरे को फिर से देखे जाने की ज़रूरत है.
भाई अरुन अनन्त ने भी एक इशारा किया है. हम इसी ढंग से सीख कर अपनी रचनाओं के कथ्यों को बेहतर प्रस्तुत करने लगते हैं.
शुभेच्छाएँ.
नीरज प्रेम भाई बहुत ही सुन्दर भाव बेहतरीन प्रयास किया है आपने आपकी मेहनत रंग ला रही है.
रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,
आज फिर टूटा सितारा ढूँढ़ता है दिल मेरा । ये शेर सबसे अधिक पसंद आया किन्तु इसमें तकाबुले रदीफ़ का दोष है. आप भी देख लें.
भाई , नीरज जी , इस शे र के लिये हार्दिक बधाइयाँ .
रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,
आज फिर टूटा सितारा ढूँढ़ता है दिल मेरा .
आदरणीय अखिलेश जी आपको भी नव वर्ष मुबारक हो और बहुत बहुत आभार ।
सारिका जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
यहाँ सभी बहुत ही उत्कृष्ट प्रतिभाशाली रचनाकार हैं
और सभी कि ही रचनाएं अद्भुत हैं
आदरणीया मुखर्जी जी सहृदय आभार व्यक्त करता हूँ ।
आदरणीय भण्डारी जी तहे दिल से और बड़े ही अहोभाव से आपका आभार ।
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