॥ नये साल की पहली ग़ज़ल मेरे भगवान को समर्पित ॥
ॐ श्री साई नाथाय नमः
11212 11212
मेरी शायरी का असर है तू
मेरी ज़िन्दगी का हुनर है तू
मै हूँ एक बुझती सी आग बस
मुझे फिर जला दे , शरर है तू
तू नज़र से मेरी है दूर पर
मै हूँ देखता , वो नज़र है तू
तू हवा भी है तू फ़िज़ा भी है
तू ही चांदनी है , क़मर है तू ( क़मर = चाँद )
तुझे हर तरफ मै हूँ देखता
बू-ए-गुल भी तू है शजर है तू
मेरी सोच भी , तू खयाल भी
मेरी शाम तू है सहर है तू
तू ही रास्ता तू ही राहबर
मेरा कारवाँ है सफर है तू
मै ही तू हुआ, तू ही मै बना
तू खला कभी तो दहर है तू ( दहर = संसार )
मेरी जीत भी ,मेरी हार भी
तू है शादमानी, कहर है तू
मै तो इक ग़रीब सा फ़र्द हूँ
मै कहूँ ख़ुदा से गुहर है तू
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मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )
Comment
nishabd hoon Sir apkee is shaandaar gazal pr....bahut hee sundr bhaav ....hr sher anupm...wah bahut khoob....is sundr prastuti ke liye haardik badhaaee....aur nav varsh kee haardik shubhkaamnaayen
बहुत सुन्दर भावों से सजी रचना बहुत 2 बधाई ......... |
छोटे भाई गिरिराज, सपरिवार नव वर्ष की शुभ कामनाओं के साथ इसअति सुंदर भाव पूर्ण रचना की भी हार्दिक बधाई और सप्रेम राधे- राधे ॥ ॐ श्री साई नाथाय नमः...
आदरणीय गिरिराज सर ग़ज़ल अच्छी है बधाई आपको
कुछ बातों की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ- शब्द कहर और दहर पे ज़रा विचार कर लें जहाँ तक मैं जानता हूँ ये दह्र और कह्र है, एक जगह तकाबुले रदीफ है नजरे सानी कर लें।
ॐ श्री साई नाथाय नमः आपको सपरिवार सहित नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं बेहद शानदार ग़ज़ल कही है आपने बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.
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