ला ला ल ला ल ला ला ल ला ला ला ला ल ला
महफ़िल तू आज फिर से सजाने की बात कर
हसरत जवा है पीने पिलाने की बात कर
चिलमन कहाँ से आया तेरे मेरे बीच में
चिलमन हटा ये नजरें मिलाने की बात कर
चिलमन हटा तो मुखड़े को घूंघट में यूं छुपा
गुल की कली न ऐसे जलाने की बात कर
जलवे जो तेरे पहली दफा देखे थे कभी
इक बार फिर वो जलवे दिखाने की बात कर
हाथों में हाथ तेरे हों बस इतनी आरजू
जन्मों की प्यास मेरी बुझाने की बात कर
दीवानगी में हो ही गयी गर कोई खता
मलिका ए हुस्न यूं ना सताने की बात कर
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!
सुंदर भावयुक्त गज़ल के लिए आपको बहुत बधाई आदरणीय आशुतोष जी ।
गज़ल अच्छी लगी। बधाई।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीय आशुतोष भाई , एक अच्छी ग़ज़ल कहने पर आपको बधाइयाँ ॥
महफ़िल तू आज फिर से सजाने की बात कर
हसरत जवा है पीने पिलाने की बात कर .....क्या आगाज़ किया है जनाब ..! बढ़िया शेर
//महफ़िल तू आज फिर से सजाने की बात कर
हसरत जवा है पीने पिलाने की बात कर // बहुत बढ़िया शेर हुआ है आदरणीय डॉ आशुतोषजी बधाई आपको
वाह ... ज़बरदस्त ...
आदरणीया कुंती जी ..आपका स्नेह मुझे यूं ही मिलता रहे ..सादर प्रणाम के साथ ..नव वर्ष की हार्दिक शुह्कम्नाओं के साथ
आदरणीय राज जी ..आपके उत्साहवर्धक शब्दों से मुझे नूतन लिखने के प्रेरणा मिलती है ..आपके स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद ..सादर
आदरणीय श्यामजी ..हौसला अफजाई के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर
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