ला ला ल ला ल ला ला ल ला ला ला ला ल ला
महफ़िल तू आज फिर से सजाने की बात कर
हसरत जवा है पीने पिलाने की बात कर
चिलमन कहाँ से आया तेरे मेरे बीच में
चिलमन हटा ये नजरें मिलाने की बात कर
चिलमन हटा तो मुखड़े को घूंघट में यूं छुपा
गुल की कली न ऐसे जलाने की बात कर
जलवे जो तेरे पहली दफा देखे थे कभी
इक बार फिर वो जलवे दिखाने की बात कर
हाथों में हाथ तेरे हों बस इतनी आरजू
जन्मों की प्यास मेरी बुझाने की बात कर
दीवानगी में हो ही गयी गर कोई खता
मलिका ए हुस्न यूं ना सताने की बात कर
मौलिक व अप्रकाशित
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आदरणीय नीरज जी ..उत्साह वर्स्धक आपके शब्दों के लिए तहे दिल शक्रिया ..सादर
हाथों में हाथ तेरे हों बस इतनी आरजू
जन्मों की प्यास मेरी बुझाने की बात कर
दीवानगी में हो ही गयी गर कोई खता
मलिका ए हुश्न यूं ना सताने की बात कर......लवली.
जलवे जो तेरे पहली दफा देखे थे कभी
इक बार फिर वो जलवे दिखाने की बात कर !! वाह क्या बात है बधाई आपको,,,,,
इस भाव पूर्ण गजल के लिए बधाई आपको । |
हाथों में हाथ तेरे हों बस इतनी आरजू
जन्मों की प्यास मेरी बुझाने की बात कर ।
वाह आदरणीय आशुतोष जी क्या खूब ग़ज़ल कही है
बहुत बहुत बधाई प्रेषित है ।
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