For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बह्र-ए- खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122 1212 22

इश्क में डूब इन्तहाँ कर ली,
यार मुश्किल में अपनी जाँ कर ली,

भा गई सादगी अदा हमको,
जल्दबाजी में हमने हाँ कर ली,

वश में पागल ये दिल नहीं अब तो,
धडकनें छेड़ बेलगाँ कर ली,

पाँव जख्मी लहू से लथपथ हैं,
राह ने ठोकरें जवाँ कर ली,

नाम बदनाम हो न महफ़िल में,
शायरी मैंने बेजबाँ कर ली..

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1055

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 14, 2014 at 7:20pm

प्रिय अरुण भाई जी 

बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है... दिली बधाई पेश है 

इस ग़ज़ल पर बहुत सार्थक चर्चा भी हुई है, जिसका लाभ मैंने भी भरपूर उठाया है..

एक संशय मुझे भी है 

पाँव जख्मी लहू से लथपथ हैं,
राह ने ठोकरें जवाँ कर ली,..............मुझे लगता है यहाँ पर अंत में ली की जगह लीं होना चाहिए क्योंकि ठोकरें बहुवचन शब्द है 

शुभकामनाएं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 9, 2014 at 2:08am

आपकी ग़ज़ल पर हुई बहस एक सार्थक बहस है..

शुभेच्छाएँ

Comment by बृजेश नीरज on January 7, 2014 at 1:09pm

अह! गज़ब! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 6, 2014 at 10:55am

भाई अजय शर्मा जी यदि आपको स्पष्ट नहीं हो रहा है तो मैं कुछ नहीं कर सकता. समझने का प्रयास करेंगे तो शायद समझ आये. सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 6, 2014 at 10:53am

आभार बैद्यनाथ भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 6, 2014 at 10:52am

आदरणीय शिज्जु भाई जी आपका भी हार्दिक आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 6, 2014 at 10:52am

आदरणीय श्री योगराज सर हार्दिक आभार आपका आपने स्पष्ट किया मैं पुनः सुधारने का प्रयास करता हूँ. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 6, 2014 at 10:48am

आदरणीया वंदना जी सर्वप्रथम आप क्षमा न मांगे आपने कोई जुर्म नहीं किया है, यहाँ हम सब सीखने और सिखाने ही आते हैं यदि कहीं कुछ त्रुटि है तो बात होनी चाहिए. और आप ऐसा कदापि न सोचें कि आपकी टिप्पणियों से मैं आहत हुआ या मुझे बुरा लगा है अपितु मैं स्वयं आपका आभारी हूँ कि आपने ग़ज़ल पर यह सारी बातें की जिससे कि मुझे स्वयं काफी कुछ स्पष्ट हो गया. इस हेतु हार्दिक आभार आपका स्नेह यूँ ही बनाये रखिये.

Comment by vandana on January 6, 2014 at 6:40am

आदरणीय अरुण जी एक बात जो सबसे पहली टिप्पणी में छूट गयी थी और नहीं छूटनी चाहिए थी ....

//यही बात यहाँ  भी लागू है हाँ का मेल जबां , जवां के साथ नहीं होना चाहिए //के बाद लिखनाचाहती थी कि  ...

यही बात यहाँ  भी लागू है | इस तरह  हाँ का मेल जबां , जवां के साथ नहीं होना चाहिए,लेकिन इन्हें हमकाफ़िया माना जाता है 

Comment by Saarthi Baidyanath on January 5, 2014 at 11:10pm

बहुत बढ़िया व सराहनीय प्रयास .....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी मंच  आपका निर्णय  आपके । सादर नमन "
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरना जी, आप आदरणीय योगराज भाईजी के कहे का मूल समझने का प्रयास करें। मैंने भी आपको…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने …"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"ठीक है आदरणीय योगराज जी । पोस्ट पर पाबन्दी पहली बार हुई है । मंच जैसा चाहे । बहरहाल भविष्य के लिए…"
11 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. सुशील सरना जी, कृपया 15-20 दोहे इकट्ठे डालकर पोस्ट किया करें, वह भी हफ्ते में एकाध बार. साईट में…"
11 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
18 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service