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कभी जीवन में अपने कुछ दुखद से पल भी आते हैं
सभी अपने हमेशा के लिए तब छोड़ जाते हैं /
समय अपना बुरा आया,तमस भी साथ ले आया
करीबी जो रहे अपने वही नजरें चुराते हैं /
किसे फुर्सत हमें देखे हमारा हाल वो जानें
हमें रुसवाइओं में तन्हा अक्सर छोड़ जाते हैं /
मिले ढूंढे नहीं कोई सहारा बन सके जो तब
मुसीबत में कहाँ अब लोग यूँ रिश्ते निभाते हैं /
भला कर तू भला होगा बुरा मत सोचना मन में
रवायत यह है दुनिया की करम ही साथ जाते हैं /
कहाँ वश मौत पे अपना नहीं जीवन पे वश अपना
ये खेला मौत जीवन का तो भगवन ही रचाते हैं/
मौलिक व् अप्रकाशित.............
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भला कर तू भला होगा बुरा मत सोचना मन में
रवायत यह है दुनिया की करम ही साथ जाते हैं /
कहाँ वश मौत पे अपना नहीं जीवन पे वश अपना
ये खेला मौत जीवन का तो भगवन ही रचाते हैं/.......बहुत सुंदर बात कही आपने सरिता जी. हार्दिक बधाई.
आदरणीया सरिता जी,,,,,बहुत ही उम्दा लेखन,,,,,,बहुत बहुत बधाई आपको,,,
आदरणीय गिरिराज जी हार्दिक आभार मार्गदर्शन करते रहें
आदरणीय योगराज sir आप सभी का आशीर्वाद एवं स्नेह बना रहे
शुक्रिया शिज्जू जी
आदरणीया सरिता जी , लाजवाब गज़ल कही है , सभी शे र बहुत अच्छे लगे ॥ आपको अनेकों हार्दिक बधाइयाँ ॥
यह ये दर्द आपका सम्बल बने ऐसी मेरी कामना है प्रिय सरिया भाटिया जी.
आदरणीया सरिता जी बेहतरीन ग़ज़ल, अशआर मग़्मूम लगते हैं दिल को छू गये दिली दाद कुबूल करें
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