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साथ (अखंड गहमरी)

अपनो से दूर

अपने पराये

पराये अपने

चुटकी भर

सिंदूर से

पास मेरे

तन मन

अर्पण

मैं सुखी

उसकी खुशी

हर चाहते

सपने उमंग

चेहरे पर तेज

हर पल साथ

साँसो के साथ

मेरे अपने

उसके अपने

निर्स्‍वाथ सेवा

हम दो शब्‍द

प्‍यार के नहीं

जज्‍बातो से खेलते

हर सपने तोड़ते

शिव है हम

मगर वह सीता

सह गयी जुल्‍म

मगर ना मिला

राम को चैन

पुरूर्षाथ अधूरा

वह अनेक रूपों में

आज तक

चल रही

निभा रही

आशा

विश्‍वास

निर्स्‍वाथ

हर रिश्‍ते, हर फर्ज

मेरे साथ

दिखा रही

अँधेरो में रास्‍ता

कोशिश बचाने की

सम्‍मान दिलाने की

हमारी अर्धागिनी

मेरी जीवन संगिनी

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by Akhand Gahmari on January 15, 2014 at 3:19pm

आदरणीय  ram shiromani pathak ji मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन के सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करें

Comment by ram shiromani pathak on January 14, 2014 at 9:23pm

 सार्थक प्रयास के लिए  हार्दिक बधाई आपको  भाईजी, और हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by Akhand Gahmari on January 14, 2014 at 5:52pm

आदरणीय Saurabh Pandey जी मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन के सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2014 at 4:14pm

इस सार्थक प्रयास के लिए धन्यवाद, भाईजी, और हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by Akhand Gahmari on January 10, 2014 at 10:39pm

आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन के सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करें

Comment by रमेश कुमार चौहान on January 10, 2014 at 10:32pm
इस सुंदर अभिव्यक्ति पर अखंडजी आपको बधाई
Comment by Akhand Gahmari on January 9, 2014 at 4:05pm

आदरणीय अरुन शर्मा 'अनन्त' जी मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन के सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करें

Comment by Akhand Gahmari on January 9, 2014 at 4:05pm

आदरणीया savitamishra  जी मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन के सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करें

 

Comment by Akhand Gahmari on January 9, 2014 at 4:05pm

आदरणीया Meena Pathakजी मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन के सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करें

 

 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 9, 2014 at 12:55pm

बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय अखंड जी बधाई स्वीकारें.

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