For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साथ (अखंड गहमरी)

अपनो से दूर

अपने पराये

पराये अपने

चुटकी भर

सिंदूर से

पास मेरे

तन मन

अर्पण

मैं सुखी

उसकी खुशी

हर चाहते

सपने उमंग

चेहरे पर तेज

हर पल साथ

साँसो के साथ

मेरे अपने

उसके अपने

निर्स्‍वाथ सेवा

हम दो शब्‍द

प्‍यार के नहीं

जज्‍बातो से खेलते

हर सपने तोड़ते

शिव है हम

मगर वह सीता

सह गयी जुल्‍म

मगर ना मिला

राम को चैन

पुरूर्षाथ अधूरा

वह अनेक रूपों में

आज तक

चल रही

निभा रही

आशा

विश्‍वास

निर्स्‍वाथ

हर रिश्‍ते, हर फर्ज

मेरे साथ

दिखा रही

अँधेरो में रास्‍ता

कोशिश बचाने की

सम्‍मान दिलाने की

हमारी अर्धागिनी

मेरी जीवन संगिनी

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 652

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on January 15, 2014 at 3:19pm

आदरणीय  ram shiromani pathak ji मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन के सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करें

Comment by ram shiromani pathak on January 14, 2014 at 9:23pm

 सार्थक प्रयास के लिए  हार्दिक बधाई आपको  भाईजी, और हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by Akhand Gahmari on January 14, 2014 at 5:52pm

आदरणीय Saurabh Pandey जी मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन के सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2014 at 4:14pm

इस सार्थक प्रयास के लिए धन्यवाद, भाईजी, और हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by Akhand Gahmari on January 10, 2014 at 10:39pm

आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन के सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करें

Comment by रमेश कुमार चौहान on January 10, 2014 at 10:32pm
इस सुंदर अभिव्यक्ति पर अखंडजी आपको बधाई
Comment by Akhand Gahmari on January 9, 2014 at 4:05pm

आदरणीय अरुन शर्मा 'अनन्त' जी मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन के सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करें

Comment by Akhand Gahmari on January 9, 2014 at 4:05pm

आदरणीया savitamishra  जी मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन के सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करें

 

Comment by Akhand Gahmari on January 9, 2014 at 4:05pm

आदरणीया Meena Pathakजी मार्गदर्शन एवं उत्‍साहवर्धन के सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करें

 

 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 9, 2014 at 12:55pm

बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय अखंड जी बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
19 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service