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किसको पता कि कौन हूँ मैं ....

कोई शब्द नहीं निःशब्द हूँ मैं ....

खुद के चित्कार में छुप जाता हूँ

मेरा अस्तित्व,

मेरी संवेदनाएं

सन्नाटों ने खूब पढ़ा है

मेरे अनकहे शब्दों को

और ठंडी चुभती सर्द हवाओं ने

महसूस करा है ....

मेरे शब्दों के एहसास को .....

बहुत कुछ कहता हूँ

दिन भर .... 

तुमसे, सबसे

पर सच कहूँ तो 

आज तक

मैं, सिर्फ निःशब्द हूँ .....

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by नादिर ख़ान on January 10, 2014 at 9:40pm

बहुत कुछ कहता हूँ

दिन भर .... 

तुमसे, सबसे

पर सच कहूँ तो 

आज तक

मैं, सिर्फ निःशब्द हूँ .....

आदरणीय आमोद जी आप तो छुपे रुस्तम हो ....

Comment by savitamishra on January 10, 2014 at 8:56pm

सुन्दर

Comment by Amod Kumar Srivastava on January 10, 2014 at 8:15pm

आ0 अरुण कुमार निगम जी धन्यवाद ये बताने के लिए मे कोशिश करता हूँ.....

Comment by Amod Kumar Srivastava on January 10, 2014 at 8:14pm

आ0 जितेंद्र गीत जी, आ0 मीना पाठक जी, आ0 शिज्ज शकर जी, आ0 मुकर्जी जी बहुत बहुत आभार उत्साहवर्द्धन के लिए....

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 10, 2014 at 7:58pm

बहुत कुछ कहता हूँ

दिन भर .... 

तुमसे, सबसे

पर सच कहूँ तो 

आज तक

मैं, सिर्फ निःशब्द हूँ .....

सच ! कभी कभी बिन कहे ही सब कुछ बयां हो जाता है , बहुत सुंदर बधाई स्वीकारें आदरणीय आमोद जी

Comment by Meena Pathak on January 10, 2014 at 1:02pm

बहुत कुछ कहता हूँ

दिन भर .... 

तुमसे, सबसे

पर सच कहूँ तो 

आज तक

मैं, सिर्फ निःशब्द हूँ .............बहुत सुन्दर .. बधाई आप को | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on January 10, 2014 at 9:04am

*पुनर्विचारणीय 


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Comment by अरुण कुमार निगम on January 10, 2014 at 9:03am

आदरणीय आमोद जी, सुन्दर रचना के लिए बधाई. कुछ पंक्तियाँ व्याकरण की दृष्टि से पुनर्विचारानीय हैं, कृपया देख लीजिएगा.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 10, 2014 at 8:12am

आदरणीय आमोद जी बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति है, वाकई कभी कभी निःशब्द होना ही कई बातें कह देता है इस खूबसूरत रचना के लिये बधाई स्वीकार करें

Comment by coontee mukerji on January 10, 2014 at 1:36am

बहुत सुंदर रचना.हार्दिक बधाई.अमोद जी.सादर

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