For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लो .... 

ये क्या मौसम बदलते ही 

तुमने रिश्तों का स्वेटर 

खोल दिया ... 

एक एक फंदे 

जो तुमने चढ़ाये थे 

इतने जतन से 

अचानक ही 

उन्हे उतार दिया .... 

इतने जल्दी तुम 

भी बदल गए 

इस मौसम की तरह 

चलो .... 

ऐसा करना 

मेरी यादों की सलाईयों को 

सहेज कर रख लेना 

फिर कभी ठंड आएगी 

और उस सलाईयों 

पर अहसासों के ऊन से 

फिर रिश्तों का स्वेटर 

बना लेना ... 

किसी अपने के लिए

रिश्तों के लिए 

नातों के लिए.... 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 527

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2014 at 12:49am

भावुक कॉड छू रही रचना हुई है.

वैसे एक बात स्पष्ट हुई, आपको स्वेटर के बिने जाने का ढब मालूम है. अच्छा लगा.

शुभ-शुभ

Comment by shashi purwar on February 11, 2014 at 11:07pm

बहुत सुन्दर रचना है रिश्तो की गर्माहट में जब यह पल अवतरित होते है तो फंदे उधड़ते चले जाते है और उन फंडो को सहेजना भी हूनह का कार्य है , रचना में  रचनाकार ने बखूबी अपनी बात कही है , और प्राची जी से सहमत हूँ उस की  जगह उन सलाइयों होना चाहिए , एक बात मेरे जहन में भी अटक गयी कि। ……… रिश्तो को सहेजते सहेजते यह कहाँ से आ गया

बना लेना ... 

किसी अपने के लिए

रिश्तों के लिए 

नातों के लिए....          

……। जैसे यहाँ से नया पड़ाव शुरू हो गया :) वैसे रचना बहुत सुन्दर लगी हार्दिक बधाई आपको

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 11, 2014 at 9:52pm

मेरी यादों की सलाईयों को 

सहेज कर रख लेना 

फिर कभी ठंड आएगी 

और उस सलाईयों 

पर अहसासों के ऊन से 

फिर रिश्तों का स्वेटर 

बना लेना ... 

किसी अपने के लिए

रिश्तों के लिए 

नातों के लिए...............बहुत सुंदर

बधाई स्वीकारें आदरणीय आमोद जी

Comment by MAHIMA SHREE on February 11, 2014 at 9:18pm

बहुत ही खूबसूरत अभिवयक्ति हार्दिक बधाई आपको /सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 11, 2014 at 6:50pm

रिश्तों की गर्माहट बदलते मौसम की तरह जब फंदा फंदा उधड़ती एहसास खोने लगे..तब एक संयत इकाई दूसरी को भविष्य के लिए यही कह सकती है..की यादों को संजो कर फिर नए सिरे से एहसासों के ताने बाने बुनना.... लेकिन किसी और रिश्ते के लिए ? ऐसा क्यों? यदि ऐसा तो उस इकाई की यादों की सिलाइयों पर क्यों ? हर रिश्ता अपने ताने बाने स्वयं ही बुनता है.. किसी दुसरे की यादों पर नए रिश्ते का ताना बाना-यहाँ थोड़ी सी तार्किकता की कमी महसूस हुई..

दूसरा ,

और उस सलाईयों .................उस तो एकवचन संज्ञा के लिए प्रयोग होगा , यहाँ 'उन' होना चाहिए क्योंकि सिलाई नहीं सिलाइयाँ है 

पर अहसासों के ऊन से

तीसरी बात, 

अंत थोड़ा और साधा जा सकता था शाब्दिकता के स्तर पर ..

कुल मिला कर एहसासों  से गुज़रना अच्छा लगा..

हार्दिक बधाई इस रचना पर आ० आमोद कुमार श्रीवास्तव जी  

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 10, 2014 at 9:06pm

मेरी यादों की सलाईयों को 

सहेज कर रख लेना 

फिर कभी ठंड आएगी 

और उस सलाईयों 

पर अहसासों के ऊन से 

फिर रिश्तों का स्वेटर 

बना लेना ...                                                            बहुत ही सुंदर

बधाई बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 10, 2014 at 6:19pm

आदरणीय , सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये बधाई ॥

Comment by coontee mukerji on February 10, 2014 at 3:46pm

ऐसा करना 

मेरी यादों की सलाईयों को 

सहेज कर रख लेना 

फिर कभी ठंड आएगी 

और उस सलाईयों 

पर अहसासों के ऊन से 

फिर रिश्तों का स्वेटर 

बना लेना ... 

किसी अपने के लिए

रिश्तों के लिए 

नातों के लिए.... ...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है....सधुवाद.

Comment by Meena Pathak on February 10, 2014 at 2:51pm

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..सादर बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 1:30pm

वाह क्या कहने आदरणीय आमोद जी बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति बहुत बहुत बधाई आपको.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
19 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service