करें हम हमेशा ही उनकी इबादत
ये जीवन हमारा है जिनकी बदौलत...
नहीं कोई सानी है माता पिता का
यकीनन ये करते हैं दिल से मुहब्बत...
चरण छू लो इनके, मिलेंगी दुआएं
इन्हें देखने भर से होती जियारत ...
सही मायने में यही देवता हैं
यही पूरी करते हमारी ज़रूरत ...
हमेशा कलेजे से रखते लगाए
बलाओं से करते हमारी हिफाज़त ...
ये उंगली पकड़ हम को चलना सिखाते
पिलाते हैं घुट्टी में हम को सदाकत ....
न माता पिता का कभी दिल दुखाना
इन्हीं की दुआओं से हम हैं सलामत ....
यहीं लुत्फ मिलता है जीवन का यारो
कि अज्ञात कदमों में इनके है जन्नत ...
.
मौलिक व अप्रकाशित ...
Comment
सभी मित्रों का हृदय से आभार ...
इस मुसल्सल ग़ज़ल के लिए ढेरो मुबारकबाद
अच्छी मुसलसल ग़ज़ल के लिए बधाई अजय अज्ञात भाईजी.
आदरणीय, आप तो एक दम से छुपे रुस्तम ही हो गये हैं, हलद्वानी कार्यक्रम के बाद से .. .
सादर
सुंदर ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय बधाई स्वीकारें.
बहुत ही खुबसूरत गजल ..बधाई आपको सादर
आदरणीय ..जीवन नीति को दर्शाते शानदार अशार ..बेहतरीन रचना के लिए तहे दिल बधाई ..सादर न माता पिता का कभी दिल दुखाना
इन्हीं की दुआओं से हम हैं सलामत ....
सही मायने में यही देवता हैं
यही पूरी करते हमारी ज़रूरत ...
ये शेर मुझे बेहद पसंद आये
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय बधाई स्वीकारें.
बहुत अच्छी संदेशपरक रचना! आपको हार्दिक बधाई!
हर शेर सीख दे रहा है आदरणीय अजय जी। .बहुत खूब !!
isi mauzu ke apne do sher yaad aa rahe hain .......
उनकी याद भी आये , तो आये कैसे
घरों में कोई चीज़ें पुरानी हैं कहाँ अब
घरों में वो दादी , नानी , हैं कहाँ अब
सपनों में वो राजा रानी हैं कहाँ अब.
teek kaha apne ,
न माता पिता का कभी दिल दुखाना
इन्हीं की दुआओं से हम हैं सलामत ....
ishwar sabhi ko ye samjh de ..............
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