For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (ज़िंदगी के यज्ञ में खुद को हवन करना पड़ा)

ज़िंदगी के यज्ञ में खुद को हवन करना पड़ा 
आंसुओं से ज़िंदगीभर आचमन करना पड़ा....


मंज़िलों से दूरियाँ जब ,कम नहीं होती दिखीं 
क्या कमी थी कोशिशों में,आंकलन करना पड़ा .....


ऐसे ही पायी नहीं थी देश ने स्वतन्त्रता 
इस को पाने के लिए क्या क्या जतन करना पड़ा ...


जाने मुंसिफ़ की भला थी कौन सी मजबूरियां 
फैसला हक़ में मेरे जो दफ़अतन करना पड़ा.... 


किस तरह कृतत्व से व्यक्तित्व है ,आखिर जुड़ा 
इस विषय पर देर तक चिंतन गहन करना पड़ा ....


मोह,माया,वासना की कामना कोई न थी 
इश्क़ हमको आपसे बस आदतन करना पड़ा ...


काव्य रस का पान कर ,आनंद लेने के लिए 
मन लगा कर पाठकों को अध्ययन करना पड़ा ...

मौलिक व अप्रकाशित .... 

Views: 783

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anurag Singh "rishi" on January 14, 2014 at 12:23am

वाह उम्दा रचना हेतु बधाई
सादर

Comment by coontee mukerji on January 12, 2014 at 9:58pm

मोह,माया,वासना की कामना कोई न थी 
इश्क़ हमको आपसे बस आदतन करना पड़ा.......बहुत खूब.

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 12, 2014 at 7:21pm

आदरणीय अजय भाई,

सुंदर गज़ल , हिंदी शब्दों का सुंदर प्रयोग़ , हार्दिक बधाई । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2014 at 6:19pm

आदरणीय अजय भाई , लाजवाब हिन्दी गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥ सभी शेर सुन्दर हुये हैं  ॥

किस तरह कृतत्व से व्यक्तित्व है ,आखिर जुड़ा - ----  इस मिसरे की तकतीअ फिर से करके देख लीजियेगा ,शायद गलत हो ॥

 

Comment by Meena Pathak on January 12, 2014 at 3:02pm

काव्य रस का पान कर ,आनंद लेने के लिए 
मन लगा कर पाठकों को अध्ययन करना पड़ा ...

 ..............वाह वाह ... क्या बात कही आप ने ,, बहुत खूब 

Comment by Abhinav Arun on January 12, 2014 at 8:01am

काव्य रस का पान कर ,आनंद लेने के लिए
 मन लगा कर पाठकों को अध्ययन करना पड़ा ......वाह वाह शानदार जिंदाबाद अजय जी बधाई !! क्या खूब ग़ज़ल हुई है !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
29 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
30 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
31 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service