For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पीना न तुम शराब ये आदत ख़राब है

221 2121 1221 212

पीना न तुम शराब ये आदत ख़राब है 
कहती है हर किताब ये आदत ख़राब है 
बदनाम तुमने कर दिया देखो शराब को 
पीते हो बेहिसाब ये आदत ख़राब है 

कोई सवाल पूछे बला से जनाब की
देते नहीं जवाब ये आदत ख़राब है

इक घूँट जिसने पी कभी कैसे कहे बुरा 
हरगिज न हो जवाब ये आदत ख़राब है

तकदीर से ये हुस्न मिला है तो क़द्र कर 
जाए न कर शबाव ये आदत ख़राब है
अब छोडिये गुजार दी शब् मयकशी में यूं 
कहते हैं सब गुलाब ये आदत ख़राब है 
वाइज मिला था यार मुझे मैकदे में  कल
पीकर कहे शराब ये आदत ख़राब है
पी मय को आशु झूंठ कोई बोलता नहीं
उसको कहा ख़राब ये आदत ख़राब है  

मौलिक व अप्रकाशित 

  

Views: 945

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 26, 2014 at 10:32am

आदरणीय वीनस जी .बहुत दिनों बाद आज मैं पुन जुड़ पा रहा हूँ इसलिए आपके इस मशविरे पर अमल से बंचित रह गया ..मैं आपके मशविरे के अनुरूप पुनः प्रयास करूंगा ..२६ जनवरी पर आपको हार्दिक शुभकामनाओं के साथ ..बस आपका स्नेह यूं ही मिलता रहे ..सादर

Comment by वीनस केसरी on January 20, 2014 at 3:10am

आदरणीय ग़ज़ल तो खूबसूरत है मगर आपने जो अरकान बताया है वो मेरे ख्याल से गलत है ...

ग़ज़ल के अरकान २२१ २१२१ २२   २१२ १२ नहीं हैं बल्कि २२१ / २१२१ / १२२१ / २१२ हैं .. आपके बताये अरकान अनुसार कुछ मिसरे बेबहर हो जा रहे हैं आप इस अरकान अनुसार ग़ज़ल की तक्तीअ करें और जो कुछ मिसरों को दुरुस्त करें

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 15, 2014 at 2:22pm

आदरणीय सौरभ सर ..आपके स्नेह और हौसला आफजाई के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 15, 2014 at 2:15pm

आदरणीया मीना जी आपके उत्साहवर्धक शब्दों के लिए तहे दिल धन्यवाद .

Comment by ram shiromani pathak on January 15, 2014 at 10:20am

आदरणीय डा.आशुतोष जी, सुन्दर ग़ज़ल हुई है। .   हार्दिक बधाई आपको 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 15, 2014 at 12:47am

जय हो. इस रिवायती अंदाज़ में हुई ग़ज़ल के लिए शुभकामनाएँ

Comment by sarika choudhary on January 14, 2014 at 1:32pm

इक घूँट जिसने पी कभी कैसे कहे बुरा 

हरगिज न हो जवाब ये आदत ख़राब है 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 14, 2014 at 8:09am

लाजवाब गजल आदरणीय डा.आशुतोष जी, यह शेर खास हुआ दाद कुबूल करें

इक घूँट जिसने पी कभी कैसे कहे बुरा 

हरगिज न हो जवाब ये आदत ख़राब है

Comment by Anurag Singh "rishi" on January 14, 2014 at 12:18am

वाह सुन्दर संदेश की ग़ज़ल हेतु बधाई

सादर

Comment by Meena Pathak on January 13, 2014 at 12:41pm

हर एक शे'र बेहद उम्दा ... बधाई आप  को 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service