हाथों से पता चल जायेगा होठों से खबर लग जायेगी
आँखों से नज़र आ जायेगा ,
सावन का मौसम आया है ऄ
कुछ बातें ऐसी वैसी होंगी , होंगीं जिनकी कुछ वज़ह नहीं
कुछ फूल खिलेंगे ऐसे जिनकी , होगी बागों में जगह नहीं
ख़ुश्बू , सबको बतलायेगी
सावन का मौसम आया है
झूलों पे बैठे हम और तुम , धरती से नभ तक हो आयेंगे
मिलन के बरसेंगे घन घोर , विरह के ताप हवन हो जायेंगे
दुनिया सारी जल जायेगी
सावन का मौसम आया है
इतनी फूलों को खबर कहाँ , कलियों को इतना होश कहाँ
महकेगी जवानी जब तेरी , खुश्बू में चमन जायेगा नहाँ
हर बात तेरी बहकायेगी
सावन का मौसम आया है
ये बाली उम्र ये अल्हड़ पन , मैं कैसे छुपाऊँ मन की अगन
हाथों से छूटी , अब छूटी , यौवन की गीली है डोर सजन
अब डोर ये टूट ही जायेगी
सावन का मौसम आया है
अजय कुमार शर्मा
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
सुन्दर भाव पर शिल्प अभी बहुत सुगढ़ता की दरकार रखता है..
आपके सतत प्रयास से यह भी साधता जाएगा
इस शृंगारिक सुकोमल भाव प्रस्तुति के लिए बधाई आ० अजय शर्मा जी
अच्छा प्रयास है! आपको हार्दिक बधाई!
कहन पर और काम करें!
saurabh sir .......kuch purana toota futa tha diary me ..vahi kuch hai .....apke asshish hetu dhanyavad
सुंदर रचना है बधाई आपको ।
आदरणीय अजय भाई , बहुत खूबसूरत गीत रचना हुई है , आपको बहुत बहुत बधाइयाँ ॥
जब किसी को प्यार हो जाता है तो हर मौसम सावन ही सावन लगता है...........बहुत सुंदर रचना है.भाई साहब, फ़ीलहाल अभी ठंड के मारे बाग में पत्ता पत्ता बूटा बूटा सिहुड़े सिमटे हुए है.शुभेच्छाएँ
बस ऐसे ही प्रयासरत रहें, भाई.
पहले की आपकी रचनाओं की अपेक्षा इस रचना का भाव-प्रस्तुतीकरण तनिक अलग सा लग रहा है.
शुभेच्छाएँ
आप की रचना पढ़ते पढ़ते ही छम छम बारिश होने लगी है .. पर सावन का महीना अभी दूर है :)
बहुत सुन्दर रचना ,, बधाई आप को | सादर
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