For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल [सरिता भाटिया]

दिलों को जो सुहाते हैं /
दिलों पे जाँ लुटाते हैं /

निगाहों से क़त्ल करके
मुझे कातिल बनाते हैं /

दिलों के हैं अजब रिश्ते
सदा अपने निभाते हैं /

यूँ पल पल मर रही हूँ मैं
मुझे जिन्दा बताते हैं /

सभी अपने तुम्हारे बिन
मुझे जीना सिखाते हैं /

सुना है ऐसे में अपने
भी दामन छोड़ जाते हैं /

.....................................

..मौलिक व् अप्रकाशित....

Views: 742

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sarita Bhatia on January 22, 2014 at 10:20am

हार्दिक आभार आशीष भाई 

Comment by Sarita Bhatia on January 22, 2014 at 10:20am

शुक्रिया राहुल 

Comment by Sarita Bhatia on January 22, 2014 at 10:20am

आदरणीय अरुण जी हार्दिक आभार 

Comment by vandana on January 22, 2014 at 6:47am

दिलों के हैं अजब रिश्ते 
सदा अपने निभाते हैं....वाह बहुत सुन्दर आदरणीया सरिता जी 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on January 22, 2014 at 12:07am

यूँ पल पल मर रही हूँ मैं 
मुझे जिन्दा बताते हैं /  वाह, बहुत खूब !!

Comment by Arun Sri on January 21, 2014 at 10:46am

बढ़िया प्रयास हुआ है गज़ल का !

Comment by Sarita Bhatia on January 21, 2014 at 10:14am

आदरणीया कुंती दीदी हार्दिक आभार ,स्नेह यूँहीं बनाये रखें |

Comment by Sarita Bhatia on January 21, 2014 at 10:13am

आदरणीय गिरिराज जी हार्दिक आभार 

Comment by coontee mukerji on January 21, 2014 at 1:26am

सभी अपने तुम्हारे बिन
मुझे जीना सिखाते हैं /.....बहुत खूब


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 20, 2014 at 10:28pm

आदरणीया सरिता जी , शानदार ग़ज़ल हुई है , आपको तहे दिल से बधाइयाँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service