आज कुन्ती के पाँव जमीन पर नही पड़ रहे थे | खुशी इतनी थी कि उसका मन भर-भर आ रहा था | अपने पति के प्रति अथाह आदर भाव और प्रेम तो पहले से ही था उसके हृदय में, आज वो कई गुना और बढ़ गया था | उसका दिल खुशी से धाड़-धाड़ धड़क रहा था खुशी की अधिकता के कारण वो काँप रही थी | किसी तरह वो तैयार हो कर आईने के सामने खड़ी हो कर खुद को निहारने लगी | हल्के गुलाबी रंग की रेशमी साड़ी में वो कितनी जंच रही थी जो इसी विशेष अवसर के लिए पति ने खरीद कर तैयार करवाई थी | स्टूल पर बैठ कर कुन्ती सिर पर पल्लू रख कर अपनी मांग में सिन्दूर भरती है और खुद को निहारते हुए सोचने लगती है कि आज वो जिस मुकाम पर पहुँची है वो उसके पति के सहयोग से सम्भव हो सका है | उसे याद आता है कि माँ-पिता जी के विरोध के बाद भी पति ने कैसे-कैसे उन्हें समझा-बुझा कर मुझे कम्प्युटर की शिक्षा दिलाई थी | उसी शिक्षा की बदौलत उसे पुलिस विभाग में कम्प्युटर सिखाने की नौकरी मिल गई थी और प्रमोशन पाते-पाते वो आज क्राईमब्रान्च में थी | पति ने कदम-कदम पर एक गुरु और मित्र की भूमिका निभाई थी जिसकी वजह से आज उसे बेस्ट इम्प्लोयी का एवार्ड लेने एक सरकारी समारोह में जाना था | गाड़ी के हार्न की आवाज सुन के वो चौंक पड़ती है |
“ओह !! देर हो गई” बोल के वो जल्दी से बाहर आती है और गाड़ी में बैठ जाती हैं | ड्राइव करते हुए पतिदेव को मुस्कुराते देख कर कुन्ती पूछती है “क्या हुआ, आप मुस्कुरा क्यों रहे हैं ?
“तुम्हें देख कर” पति का जवाब सुन कर कुन्ती ने मुस्कुरा कर पूछा “वो क्यों ?” “इस उम्र में भी गज़ब ढा रही हो” पति की बात सुन कर कुन्ती थोड़ा शर्माते हुए बोली “आप भी ना, कोई मौका नही छोड़ते मुझे छेड़ने का” पतिदेव जोर से हँस पड़े | बातों-बातों में रास्ते का पता ही नही चला और वो समारोह स्थल तक पहुँच गये |
गाड़ी से उतरते ही कुछ लोग उनके पास आये और उन्हें सम्मान पूर्वक ले जा कर अगली पंक्ति में बैठा दिया गया | थोड़ी देर बाद उसका नाम पुकारा गया, कुन्ती ने जा कर अपना सम्मान लिया तो उसे दो शब्द बोलने को कहा गया | कुन्ती सब का आभार प्रकट करने के बाद सामने पतिदेव को देखते हुए बोली कि”मैं दुनिया की सबसे खुशहाल और समृद्ध महिला हूँ क्यों कि मैंने पति के रूप में एक सच्चा मित्र और गुरु पाया है जिनके सहयोग और मार्गदर्शन से मै आज यहाँ तक पहुँची हूँ |” वो बोलती जा रही थी पर उसकी आवाज तालियों की गड़गड़ाहट में दब गई थी, दोनों की आँखों में एक दूसरे के प्रति गर्व के भाव और खुशी के आँसू थे |
मीना पाठक
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
आ० सारथी जी .. आभार स्वीकारें
प्रिय जितेन्द्र जी .. आभार
आदरणीया राजेश कुमारी जी रचना पर स्नेहिल उपस्थिति और सराहना हेतु आभार
परम आदरणीय विजय निकोर जी प्रणाम
रचना पर स्नेहाशीष हेतु सादर आभार
सुखी दाम्पत्य जीवन की झलक दिखाती एक शानदार लघु कथा ..आपको हार्दिक बधाई के साथ ..सादर
अच्छी कथा है! आपको हार्दिक बधाई!
मैंने पति के रूप में एक सच्चा मित्र और गुरु पाया है जिनके सहयोग और मार्गदर्शन से मै आज यहाँ तक पहुँची हूँ |...लाजवाब कथा कही है आपने ! बहुत ही मनभावन और संदेशप्रद !
बहुत बढ़िया सकारात्मक सन्देश देती लघुकथा, बधाई स्वीकारें आदरणीया मीना दीदी
बहुत अच्छी लघु कथा है जो एक सार्थक सीख का उदाहरण है पति पत्नी अहम् त्याग कर एक दुसरे के संबल बनकर आगे बढ़ें तो उनकी प्रगति को कोई नहीं रोक सकता .बहुत बहुत बधाई आ.मीना पाठक जी
अच्छी लघु कथा के लिए बधाई।
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