2122 2122 2122 2122
इस जमाने में हमे तुमकेा बुलाना भी नहीं हैं
तड़पते ही रहे मगर जख्म दिखाना भी नहीं है
चाँद छुप छुप जा रहा क्यों बादलो के संग देखो
राज की ये बात बेवफा को बताना भी नहीं है
दर्द ही हमको मिला जो दिल लगाया था किसी से
जख्म जो दिल पर लगे उन्हे दिखाना भी नहीं है
आई फिर ना वो बहारे जो चली इस बार गई पर
दर्द फूलो का बहारो को बताना भी नहीं है
नाम भी बदनाम उसका प्यार में ना कर सके पर
मर गये तो चेहरा मेरा दिखाना भी नहीं है
मौलिक एवं अप्रकाशित
अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर
Comment
कोशिश अच्छी हुई है. फिर भी कसर है.
तड़पते - १२२ इस लिए मिसरा बेबह्र हुआ
बेवफ़ा - २१२ इस लिए मिसरा बेबह्र हुआ
उन्हें - १२ इस लिए मसरा बेबह्र है
बार गई पर - २११२२ एक अतिरिक्त मात्रा आने से मिसरा बेबह्र है
चेहरा - २२ की मात्रा पर बाँधते हैं .. :-(( ..
और ग़ज़लों में ना के प्रयोग से बचें और ना की जगह न का प्रयोग करें
प्रयासरत रहें.
शुभेच्छाएँ
उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्वीकार करे आदरणीय गुरूवर गिरिराज भंडारी जी
उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्वीकार करे आदरणीया मीना पाठक जी
उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्वीकार करे आदरणीय लक्षमण जी
उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्वीकार करे आदरणीय जितेन्द्र गीत जी
उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्वीकार करे आदरणीय ब्रजेश नीरज जी
सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!
इस जमाने में हमे तुमकेा बुलाना भी नहीं हैं
तड़पते ही रहे मगर जख्म दिखाना भी नहीं है.............वाह! शानदार मतला
दर्द ही हमको मिला जो दिल लगाया था किसी से
जख्म जो दिल पर लगे उन्हे दिखाना भी नहीं है...........बहुत सुंदर
बहुत बढ़िया गजल आदरणीय अखंड जी, हार्दिक बधाई आपको
आदरणीय अख्ंड भाई , एक अच्छी ग़ज़ल के लिए आपको दिल से बधाइयाँ
आदरणीय अख्ंड भाई , ग़ज़ल का बहुत सुन्दर प्रयास किया है , आपको दिल से बधाइयाँ ॥ कुछ मिसरे बे बह्र हो रहे हैं , फिर से देख लीजियेगा ॥
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