For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मधुमास दोहावली

शुक्ल पंचमी माघ से ,शुरू शरद का अंत
पवन बसंती है चली, आया नवल बसंत /


ले आया मधुमास है, चंचल मस्त फुहार
पीली चादर ओढ़ के, धरा करे शृंगार /


रात सुहानी हो गई उजली है अब भोर
डाली डाली फूल हैं ,हरियाली चहुँ ओर /


निर्मल अम्बर है हुआ, पाया धरा निखार
जर्रे जर्रे में बसा , कुदरत में है प्यार /


रंग बिरंगी तितलियाँ , मन में भरें उमंग
प्यार हिलोरें ले रहा , अब प्रीतम के संग /


पेड़ आम के बौर से, इतरायें हैं आज
मन को है भाने लगी, कोयल की आवाज /

............मौलिक व अप्रकाशित .......

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sarita Bhatia on February 10, 2014 at 9:10pm

आदरणीय सौरभ sir आपकी प्रतिक्रिया से अपनी गलतिओं को सुधारने का मौका मिलता है ,कृपया स्नेह बनाये रखें |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2014 at 4:34pm

बसंत को केन्द्र में रख कर हुई इस अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ. आदरणीया

शुभ-शुभ

Comment by Sarita Bhatia on February 6, 2014 at 10:25am

शुक्रिया अन्नपूर्णा जी 

Comment by annapurna bajpai on February 6, 2014 at 1:53am

बहुत सुंदर बासन्ती दोहवली , बहुत बधाई आपको आ0 सरिता जी । 

Comment by Sarita Bhatia on February 5, 2014 at 1:30pm

जितेन्द्र  भाई शुक्रिया 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 4, 2014 at 11:19pm

 बसंत ऋतू पर बहुत सुंदर दोहावली, हार्दिक बधाई आदरणीया सरिता जी

Comment by Sarita Bhatia on February 4, 2014 at 4:50pm

आदरणीय अनिल जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 4, 2014 at 4:49pm

आदरणीय अखिलेश जी उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on February 4, 2014 at 4:49pm

कुन्ती दीदी हार्दिक आभार 

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 4, 2014 at 11:39am

बशंत ऋतू के आगमन का सुन्दर अभिव्यक्ति.....................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service