For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया सरिता भाटिया

जागो प्यारे भोर में मन में ले विश्वास 
आस जगाती जिन्दगी करना है कुछ ख़ास /
करना है कुछ ख़ास मन में जगा लो चाहत
करो वक्त पे काम मिले तनाव से राहत
सरिता कहे पुकार नहीं मुश्किल से भागो
पड़े बहुत हैं काम भोर हुई अभी जागो //

..................................................

...........मौलिक व अप्रकाशित...........

Views: 556

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 14, 2014 at 3:49pm

आ० सरिता भाटिया जी 

सतत कर्मरत रहने का सन्देश देते हुए कुण्डलिया छंद पर सुन्दर प्रयास किया है 

रोला के सम चरण का संयोजन 3, 2, 4, 4 या 3, 2, 3, 3, 2 होता है....ऐसा आतंरिक संयोजन न होने के कारण आपके रोला वाले भाग में गेयता बहुत अवरुद्ध है..कृपया गौर करें साथ ही आज रात से ही आरम्भ होने वाले द्विदिवसीय कुण्डलिया व चौपाई छंद पर आधारित छन्दोत्सव में भी यह आंतरिक संयोजन सीखने के सुअवसर का लाभ ज़रूर लें 

शुभकामनाएं 

Comment by Sarita Bhatia on February 12, 2014 at 7:29pm

आदरणीय जितेन्द्र जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 12, 2014 at 10:06am

आदरणीया महिमा जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 12, 2014 at 10:05am

शुक्रिया रमेश भाई आपको मेरा प्रयास पसंद आ रहा है 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 12, 2014 at 10:03am

बहुत सुंदर सन्देश देती कुंडली रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीया सरिता जी

Comment by MAHIMA SHREE on February 11, 2014 at 10:35pm

सुंदर कुंडलियाँ छंद बधाई आदरणीया सरिता जी ..

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 11, 2014 at 9:48pm

आदरणीया भाटियाजी, आगामी छन्दोत्सव की तैयारी में अच्छा अभ्यास चल रहा है, प्रस्तुत छंद कथ्य एवं शिल्प समृद्ध है, बधाई आपको

Comment by Sarita Bhatia on February 11, 2014 at 9:40pm

आदरणीय लक्ष्मण जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 11, 2014 at 9:39pm

आदरणीय नीरज जी शुक्रगुजार हूँ 

Comment by Sarita Bhatia on February 11, 2014 at 9:39pm

आदरणीय गिरिराज जी हार्दिक आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service