आओ कुछ तो समय निकालो
थोड़ा हँस लो थोड़ा गा लो |
जीवन की आपाधापी में
अपने पीछे छूट न जाएँ
नन्हे सपने टूट न जाएँ
जरा नया उत्साह जगा लो
थोड़ा हँस लो.......
अपने हम से रूठ गए जो
जीवन पथ पर छूट गए जो
उनकी यादों से अब निकलो
रूठ गए जो उन्हें मना लो
थोड़ा हँस लो........
देख समय ने करवट खाई
फिर क्यों है मायूसी छाई
दे दो गम को आज विदाई
बुरे समय को हँस कर टालो
थोड़ा हँस लो........
दिल सच्चा हो ना हो झूठा
कोई ना हो हमसे रूठा
रिश्ता उपजे एक अनूठा
दिल से अपनों को अपना लो
थोड़ा हँस लो.....
बात करेंगे बात बनेगी
सारी दुनिया तुम्हें सुनेगी
नैया इक दिन पार लगेगी
खुशियाँ बांटो खुशियाँ पा लो
थोड़ा हँस लो.....
अब समय ने ली अंगड़ाई
क्यों है अब भी चुप्पी छाई
सबने किस्मत स्वयं बनाई
अपनी किस्मत स्वयं बनालो
थोड़ा हँस लो........
जब कारवाँ छूट जाएगा
स्वयं को अकेला पाएगा
प्रभु नाम ही संग जाएगा
अपनी यात्रा सफल बनालो
थोड़ा हँस लो........
...................................
.....मौलिक व् अप्रकाशित.....
Comment
आदरणीय पंकज जी obo पर आपकी प्रतिक्रिया पहली बार मिली मन खुश हो गया
बात करेंगे बात बनेगी
सारी दुनिया तुम्हें सुनेगी
नैया इक दिन पार लगेगी
खुशियाँ बांटो खुशियाँ पा लो
थोड़ा हँस लो..................बहुत सुंदर मनभावन गीत
हार्दिक बधाई आपको आदरणीया सरिता जी
आदरणीया सरिता जी , बहुत सुन्दर गीत रचना हुई है , बहुत सुंदर सन्देश है ॥ हार्दिक बधाई स्वीकार करें ॥
बात करेंगे बात बनेगी
सारी दुनिया तुम्हें सुनेगी
नैया इक दिन पार लगेगी
खुशियाँ बांटो खुशियाँ पा लो
थोड़ा हँस लो.....
आदरणीया सरिता जी बहुत सुंदर गीत .. मनभावन ...
जब कारवाँ छूट जाएगा
स्वयं को अकेला पाएगा ... इन पंक्तियों मे गेयता बाधित होती सी लग रही है ।
सरिता जी सुन्दर गीत अभिव्यक्ति हेतु आपको हार्दिक बधाई , थोडा सा शिल्प को और प्रभावशाली बना सकते है थोडा तुकांत पर और कार्य की जरुरत है , ऐसा मेरा मानना है क्षमा सहित। । शेष आपका गीत बहुत सुन्दर है हार्दिक बधाई स्वीकारें
देख समय ने करवट खाई
फिर क्यों है मायूसी छाई
दे दो गम को आज विदाई
बुरे समय को हँस कर टालो
बहुत सुन्दर भाव हैं आदरणीया इस गीत के
काफ़ी दिनों बाद आपके गीत को पढकर मन प्रफुल्लित हो गया... बधाई
आदरणीय शिज्जू जी हार्दिक आभार ...सादर
आदरणीया सरिता जी बहुत अच्छी रचना है बहुत बहुत बधाई
हार्दिक आभार श्याम जी
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