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वो मिल ही गयी.......

वो मिल ही गयी.......

जिंदगी के हर मोड़ पर
बरसों से मै उसे देख रहा था
और वो मुझे देखती रहती थी
वक्त ही ना मिला जो उससे पूछता
क्यूँ वो मेरा इंतज़ार कर रही थी
अब थक सा गया था
धीरे धीरे दोड रहा था
आज मुझे वो ज्यादा करीब लगी
पूछ ही लिया रुक कर
मुद्दतों से देख रहा हूँ
तुम यूँ ही खड़ी हो
क्यूँ मुझसे मिलने की जिद्द पर अड़ी हो
मुस्कुरा कर बोली बस
तुम्हारा ही इंतज़ार था
मेरी भी मज़बूरी है,
इसलिए कंही नहीं गयी हूँ मै
मेरे साथ भी कुछ वक़्त गुजार लो
मै कभी थकती नहीं
थकने वालों के लिए बनी हूँ मै...
मेरा नाम फुरसत है
तेरे लिए ही बनी हूँ मै ........पवन अम्बा ……
"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment

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Comment by pawan amba on February 21, 2014 at 5:37am

बहुत बहुत आभार दिल से धन्यवाद  बृजेश नीरज जी 

Comment by pawan amba on February 21, 2014 at 5:36am

बहुत बहुत आभार  आपका  शिज्जु शकूर जी 

Comment by pawan amba on February 21, 2014 at 5:35am

दिल से धन्यवाद Sarita Bhatia जी 

Comment by pawan amba on February 21, 2014 at 5:33am

दिल से धन्यवाद   Shyam Narain Verma  जी 

Comment by pawan amba on February 21, 2014 at 5:31am

बहुत बहुत आभार  आपका  अनिल कुमार 'अलीन' जी 

Comment by बृजेश नीरज on February 19, 2014 at 11:45pm

बहुत बढ़िया! अच्छा लगा पढ़कर! आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 18, 2014 at 8:49pm

बहुत बढिया

Comment by Sarita Bhatia on February 17, 2014 at 7:36pm

बहुत अच्छे 

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 17, 2014 at 6:02pm

अहा................................बहुत खूब................................लिखा है आपने फुर्सत को लेकर ......................

Comment by Shyam Narain Verma on February 17, 2014 at 5:47pm

मेरा नाम फुरसत है

 

क्या बात है ..... बहुत खूब ... बधाई आप को .....

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