For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैने देखी है.........

मैने देखी है.........


जिंदगी मे मैने बहुत ऊँच नीच देखी है
यहा हर साये मे मैने धूप देखी है ...

कल जो कहता था,मुझ पर कोई एहसान ना करना
चार कंधो पर जाती उसकी सवारी देखी है......

कोई ऐसा ना मिला,माँगा ना हो जिसने आजतक 

बड़े बड़े दानवीरों की मंदिर मे फैली झोलिया देखी हैं.....

वक़्त से बड़ा सिकंदर ना हुआ कोई आज तक
दुनिया जीतने वालों की भी खाली हथेलियाँ देखी हैं......

कुदरत से लड़ परत दर परत सुंदर दिखते हैं जो
सुबह आईने मे उनकी असली तस्वीर देखी है......

दहेज़ का ही मोल है, व्यर्थ की बात की सुंदरता अनमोल है
बहुत खूबसूरत लड़कियों की भी बारातें लौटते देखी हैं......

संस्कार चिता की राख हुए, गंदी से भी घटिया हुई सोच
पत्नी का चौथा हुआ नही, बेटी पर गड़ी वहशी नज़रें देखी है....

खुद खड़े होने के लिए सहारा माँगते ये जुड़े हाथ
इन्ही हाथों मे कयी मासूमो की दबी गर्दनै देखी हैं....

हाथों के लकीरी ज्ञान पर जिंदगी बिताने वालों
बिना बाजू वालों की भी बदलती तकदीर देखी है.....

धेर्रय और इंतज़ार सीखना हो तो आशिकों से सीखो
मरने के बाद भी उनकी आँखे खुली देखी हैं.....

अब ना कोई नेकी करता है,ना दरिया मे है डालता
प्यासे रह गये दरिया, और नदिया सूखते देखी हैं.......

काली घटायें, हल्की बरसात और ठंडी हवाएँ थी
बिना सनम,इस बरसात मे भी तेज़ धूप देखी है...


मैने यहा हर साए मे धूप देखी है....................

[ मौलिक और अप्रकाशित रचना.]

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pawan amba on February 21, 2014 at 5:40am

दिल से धन्यवाद  विजय मिश्र जी 

  

Comment by विजय मिश्र on February 4, 2014 at 1:24pm
पवनजी , निश्चित रूप से विचलित करने वाले भावों को आपने दिल से रखा है और यह सच है - आज की दुनिया गलिजों से बजबज गले तक भरी है |हर चीज में सौदा है ,हर शख्स सौदायी |बहुत शातिर और तेज नजर पायी है आपने |बधाई इन बेजार और बेबस दुनियाँ की बिडम्बनाओं को दिखाने के लिए |
Comment by pawan amba on February 4, 2014 at 9:02am

दिल से आभार आपका। … Yogyata Mishra ji 

Comment by Yogyata Mishra on January 27, 2014 at 9:44am

बहुत ही अच्छी रचना है आपकी...

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 21, 2013 at 10:18pm

वाह आदरणीय वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार बहुत सुन्दर रचना की है. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by pawan amba on May 17, 2013 at 9:02pm

Pooja Agarwaal ji dhanywaad aapka ..

Comment by pawan amba on May 17, 2013 at 9:02pm

SANDEEP KUMAR PATEL  ji... सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' ji... Laxman Prasad Ladiwala...dhanywaad  aap sb kaa.......prayaas karungaa ki  kuch sahi tarike se likh sakun....

Comment by pawan amba on May 17, 2013 at 9:00pm

 विजय मिश्र ji...aapne sahee khaa hai....kuch jyada hi hai.....chhma maangne ki koi baat hi nahi hai...aap log kuch bataoge tabhi to seekhenge.....aage se dhyaan rakhungaa....dil se abhaar aapka...

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 16, 2013 at 7:38pm

जो भी देखा अनुभव किया जीवन भर उसको लिखा सटीक और सच सच 

जीवन की अनुभूति की प्रस्तुति के लिए बधाई श्री पवन अम्बा जी 

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on May 16, 2013 at 6:54pm
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति आ॰ पवन अम्बा जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service