वो मुझे याद है, उसने भुला दिया मुझको
आज की रात फिर उसने रुला दिया मुझको,
ये बताओ कि आजकल हो किसके साथ सनम
किसी को ना मिले, जैसा सिला दिया मुझको।
रुह तो मर गई लेकिन, शरीर जिंदा है
जहर वो कौन सा तुमने पिला दिया मुझको।
हमने उस शख्स को बरसों से नहीं देखा था
उसी की याद ने उससे मिला दिया मुझको।
वो तो कहती थी, उसके दिल का शहंशाह है अतुल
है करम उसको ये, शायर बना दिया मुझको।।
- मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय गिरिराज सर और ब्रजेश भाई, मार्गदर्शन के लिए हृदय से आभार। सादर—अतुल
अच्छा कहन है! आपने इसे यदि बहर में कसा होता तो आनंद और बढ़ जाता!
बहरहाल, इस कहन पर आपको हार्दिक बधाई!
आदरणीय अतुल भाई , बहुत सुन्दर शेर कहे हैं , आपको बधाइयाँ ॥ बह्र का उल्लेख आपने नही किया है , कर देने से हम जैसे सीखने वालों को समझने मे आसानी होती है ॥
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