इस विधा में प्रथम प्रयास है -- ( १- ४ )
सुबह सवेरे रोज जगाये
नयी ताजगी लेकर आये
दिन ढलते, ढलता रंग रूप
क्या सखि साजन ?
नहीं सखि धूप
साथ तुम्हारा सबसे प्यारा
दिल चाहे फिर मिलू दुबारा
हर पल बूझू , यही पहेली
क्या सखि साजन ?
नहीं सहेली
रोज ,रात -दिन चलती जाती
रुक गयी तो मुझे डराती
झटपट चलती है ,खड़ी - खड़ी
क्या सखि साजन ?
ना काल घडी
धन की गागर छलकी जाये
पाने वाला खुश हो जाये
देने वाला बने धनवान
क्या सखि साजन ?
नहीं सखि ज्ञान
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आदरणीय अरुण जी मार्गदर्शन हेतु तहे दिल आभार मैंने रुक में ३ पंक्ति गिनी थी, सम्भवतः इसीलिए दोष पूर्ण लग रहा है, मुझे यही ज्ञात था रू में २ मात्रा गिनी जाती है , जैसे हम जोड़ी स्वरुप रूप - रंग लेते है तो ६ मात्रा होती है।
आदरणीय अन्नपूर्णा जी , आदरणीय गिरिराज जी , बहुत बहुत आभार आपके बताये हुए मार्गदर्शन पर विचार करती हूँ , यह ख्याल नहीं आया कि कह मुकरियाँ में तीनो पंक्ति साजन की तरफ इंगित होनी चाहिए।
आदरणीय सुधि जनो की प्रतीक्षा है वे आकर मार्गदर्शन प्रदान करे। सादर
आदरणीया, प्रथम प्रयास नि:संदेह अत्यंत ही सराहनीय है।
रुक गयी तो मुझे डराती - १५ मात्रायें हो रही हैं , इसे ठहर गयी तो मुझे डराती किया जा सकता है ?
झटपट चलती है ,खड़ी - खड़ी-----इस पंक्ति में भी प्रवाह कुछ बाधित लग रहा है, कृपया देख लीजिये...
हार्दिक शुभकामनाएं
आदरणीया शशि जी , कह मुकरियों का बहुत सफल प्रयास हुआ है , आपको बधाइयाँ ॥ 3 और 4 मे कुछ कमियाँ लग रही हैं , सुरुवात की तीन पंक्तियो के उत्तर भी सजना की तरफ इंगित करते लगने चाहिये , ऐसा मुझे लगता है ॥ जिससे चौथी पंति मे मुकरना होता है । लेकिन आपको सुधि जनो की प्रतिक्रिया का इंतिज़ार करना चाहिये ॥
आ0 शशि जी सुंदर कह मुकरियाँ है किन्तु तीसरी और चौथी वाली कुछ अटपटी सी लग रही है । पता नहीं मै कितना सही हूँ ये विदु जन ही बता सकेंगे ।
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