1-विवशता
मुश्किल वक्त मैं उसकी मदद नहीं कर पाया
पता है क्यों?
वह डरे व् फसे जानवर की तरह खूँखार हो गया था//
२-लौट आया
मैं वहाँ से लौट तो आया
लेकिन खुद को अधूरा छोड़कर//
३-विवादित विचार
उनका सम्बन्ध इसलिए टूटा
क्यूंकि वे
विवादित विचारों तक ही सिमटे रहे//
४-अकेलापन
बाज़ार के अकेलेपन से इतना ऊब गया हूँ कि
अपना ज्यादा से ज्यादा समय खुद के साथ बिताता हूँ//
५-शेष
मृत सपने
सूनी रातों का बूढ़ा कंकाल
धूल से पटी तस्वीरें
तुम्हे देने के लिए बस इतना ही बचा है
******************************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
आदरणीय राम शिरोमणी भाई , क्षणिकाओं की रचना सुन्दर हुई हैं ! आपको बधाई ॥
मैं वहाँ से लौट तो आया
लेकिन खुद को अधूरा छोड़कर//
या , अधूरा लेकर , मुझे लेकर जादा अच्छा लग रहा है , या फिर आधा छोड़ कर कहना सही लग रहा है , आप भी सोच के देखियेगा ॥
भाई बहुत भावपूर्ण क्षणिकाएँ ,बधाई आपको
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