2122 2122 2122 212
कौन चुपके आ रहा है आज मेरे मौन में
गीत कोई गा रहा है आज मेरे मौन में
वाक़िया जिसकी वज़ह से दूरियाँ बढ़ने लगीं
बस वही समझा रहा है ,आज मेरे मौन में
ख़्वाब कोई अब पुराना टूट जाने के लिये
देख फिर इतरा रहा है , आज मेरे मौन में
अश्क़ मेरी आखों से जो बह नहीं पाया कभी
रो रहा , पछता रहा है ,आज मेरे मौन में
रास्ता छोड़ा अगर तो मै न फिर वापस गया
खूब याद आता रहा है आज मेरे मौन में
यार मेरे अब न हँसने की कोई बातें करो
दर्द कोई खा रहा है , आज मेरे मौन मे
ज़िन्दगी की डोर का इक छोर हाथ आया ही था
फिर कोई उलझा रहा है ,आज मेरे मौन में
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
यार मेरे अब न हँसने की कोई बातें करो
दर्द कोई खा रहा है , आज मेरे मौन मे
ज़िन्दगी की डोर का इक छोर हाथ आया ही था
फिर कोई उलझा रहा है ,आज मेरे मौन में
wah wah sahab khoob badhai aapko,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
यार मेरे अब न हँसने की कोई बातें करो
दर्द कोई खा रहा है , आज मेरे मौन मे........बहुत खूब,
सुंदर गजल बधाई आदरणीय गिरिराज जी
आदरणीय बड़े भाई अखिलेश जी , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
छोटे भाई गिरिराज,
अच्छी ग़ज़ल की हार्दिक बधाई ।
आदरणीया राजेश कुमारी जी , आपकी दाद दिल से कुबूल करता हूँ , गज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥
आदरणीय राम शिरोमणी भाई , गज़ल के सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥
आदरणीय श्याम नारायण भाई , ग़ज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
ख़्वाब कोई अब पुराना टूट जाने के लिये
देख फिर इतरा रहा है , आज मेरे मौन में----क्या बात है ....
ज़िन्दगी की डोर का इक छोर हाथ आया ही था
फिर कोई उलझा रहा है ,आज मेरे मौन में-----शानदार ...बहुत बढ़िया ग़ज़ल दाद कबूलें
यार मेरे अब न हँसने की कोई बातें करो
दर्द कोई खा रहा है , आज मेरे मौन मे////////बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय गिरिराज जी //सादर
"क्या बात है ..... बहुत खूब ... बधाई आप को " |
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