पढ़े लिखे कुछ लोग भी, दे हैरत में डाल।
बेटी भी औलाद है, फिर क्यूँ करे बवाल।।
इतनी छोटी बात भी, समझे ना इंसान।
बेटी जन्में पुत्र को, रखते कुछ तो मान।।
बेटी मेरा खून है, बेटी मेरी जान।
बेटी से ये सृष्टि है, बेटी से इंसान।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
बहुत सुंदर दोहावली आदरणीय शिज्जू जी, हार्दिक बधाई आपको
आदरनीय शिज्जू भाई , आज की ज्वलंत समस्या पर आपके तीनो दोहे बहुत शानदार लगे ॥ आपको कोटिशः बधाइयाँ ॥
तीनो शानदार ,बेहतरीन दोहे ...वाह अंतिम तो बहुत ही ज्यादा पसंद आया
बेटी मेरा खून है, बेटी मेरी जान।
बेटी से ये सृष्टि है, बेटी से इंसान।।
बहुत- बहुत बधाई शिज्जू भाई इन दोहों के लिए.
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