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फागुन का मास

तारों की बारात

चाँदनी के रथ पर

आएगा मोहन

यमुना के तीर

होके अधीर, में तो उसकी हो जाऊँगी ।

श्यामल सा मनोहर गात

पीला सा सिर पर पाग

कानों में कुंडल

अधरों पे मोती

धरे तिरछा पैर

छोड़ सब की खैर, मै तो चरणन में गिर जाऊँगी ।

होंठों की शान

प्यारे की मुस्कान

मीठी सी चितवन

सखियों का लूटे मन

कर के सब जतन, मै तो उनकी हो जाऊँगी ।

माँ यशोदा का छैया

बलदाऊ का भैया

राधा से करे मनुहार 

मेरा दिल करे गुहार 

मैं मन मार एक टक निहारूंगी ।

है भक्तों की पुकार

प्रभु सुन लो एक बार

आओ दिल के मँझार

मेरे नैना भाए बेजार

मैं तो, नेहा तुम संग लगाऊँगी ।

कल्पना मिश्रा बाजपेई

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by kalpna mishra bajpai on March 10, 2014 at 6:21pm

आदरणीया प्राची मैडम आप का सुझाव सिर आँखों पर ।आप ने रचना को देखा पढ़ा बहुत बहुत आभार /सादर !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 10, 2014 at 10:38am

मनोहर भाव 

पर अब शिल्प पर भी अवश्य ही साधा प्रयास हो 

शुभकामनाएं आ० कल्पना मिश्रा बाजपेयी जी 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 5, 2014 at 3:52pm

आदरणीय जितेंन्द्र जी, आदरणीया सारिता जी सराहना हेतु बहुत बहुत आभार सादर !!     

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 5, 2014 at 8:38am

बहुत सुंदर व् कोमल भाव, बधाई स्वीकारें आदरणीया कल्पना जी

Comment by Sarita Bhatia on March 4, 2014 at 3:47pm

वाह सुन्दर चित्रण मन के भावों का ,बधाई आपको कल्पना जी 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 4, 2014 at 3:40pm

आदरणीया अन्नपूर्णा दी और आदरणीया मीना दी सराहना हेतु आभार सादर  

Comment by Meena Pathak on March 4, 2014 at 10:46am
Sundar Rachna .. Badhai
Comment by annapurna bajpai on March 2, 2014 at 11:32pm

होंठों की शान

प्यारे की मुस्कान

मीठी सी चितवन

सखियों का लूटे मन

कर के सब जतन, मै तो उनकी हो जाऊँगी ।............................... सुंदर पंक्तियाँ 

माँ यशोदा का छैया

बलदाऊ का भैया

राधा से करे मनुहार 

मेरा दिल करे गुहार 

मैं मन मार एक टक निहारूंगी ।.......................... इस पंक्ति मे कुछ अधूरा सा लगता है कल्पना जी , शायद आप कुछ और                                                                            कहना चाह  रही है । 

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