For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाय! अकेलापन क्यों?

बोझिल सा लगता है

अकेलापन तो स्वर्णिम क्षण है

अपने आप को जानने का पल है

क्यों मानव इससे घबराए?

यह तो सबका बल है। 

अकेलापन शक्ति देता है

तुमको खुद से मिलवाता है

तुम भूल गए अपने को शायद

वो तुमको याद दिलाता है। 

अकेलापन खुद का आपा दिखलता है

गर किया है दुष्कर्म तो डरवाता है

क्योंकि यही ईश्वरी पल है

जो आत्मा से रू-ब-रू कराता है। 

अकेलापन सबको नया कुछ सुझाता है

कुछ नया आविष्कार तुम से करवाता है

फिर क्यों कहते हो? हाय! अकेले हम हैं 

जीवन में तुम्हें सम्मान भी तो दिलाता है।

अकेलापन विचारों से प्रेरित है

यह दुनिया से हर वक्त तिरोहित है

पुष्प झरते हैं विचारों के अकेले में 

बस उनमें से चुनने का मनोहर पल है। 

कल्पना मिश्रा बाजपेई

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 590

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on March 26, 2014 at 8:57pm

आदरणीय पाण्डेय सर बहुत आभार सादर !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 23, 2014 at 2:50am

बधाई हो,आदरणीया

Comment by Maheshwari Kaneri on March 4, 2014 at 6:55pm

सुन्दर भाव.. बहुत बढिया..बधाई आप को कल्पना जी..

Comment by Saarthi Baidyanath on March 4, 2014 at 10:55am

बहुत सुन्दर , बहुत सुन्दर !

Comment by kalpna mishra bajpai on March 2, 2014 at 2:12pm

आदरणीया मीना धर पाठक दुवेदी जी सराहना हेतु आभार । लेकिन मीना दी कहाँ थी आप आज दर्शन हुए आप के अच्छा लगा ।

Comment by Meena Pathak on March 2, 2014 at 1:46pm
Behad sundar rachna, Badhai
Comment by kalpna mishra bajpai on March 2, 2014 at 9:15am

आदरणीय नीरज सर आप का तहे दिल से शुक्रिया । सादर

Comment by बृजेश नीरज on March 2, 2014 at 8:16am

सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by kalpna mishra bajpai on March 1, 2014 at 9:47pm

आदरणीया कल्पना दी आप की सराहना सर आँखों पर साथ में आप का आशीष भी चाहिए ।सादर 

Comment by कल्पना रामानी on March 1, 2014 at 8:58pm

हाय! अकेलापन क्यों?

बोझिल सा लगता है

अकेलापन तो स्वर्णिम क्षण है

अपने आप को जानने का पल है

क्यों मानव इससे घबराए?

यह तो सबका बल है।

कितना सुंदर लिखा है न, कल्पना जी! बिलकुल मेरे मन के भाव हैं ये। पर मैं आज तक इस विधा में लिख नहीं पाई। सुंदर भावपूर्ण कविता के लिए हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
17 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
20 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
20 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
20 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
20 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
20 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service